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अहमदाबाद: गुजरात में एक विशेष सीबीआई अदालत ने आज यहां पूर्व पुलिस अधिकारी डी.जी. वंजारा और एन.के. अमीन की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने इशरत जहां और तीन अन्य के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में खुद को आरोपमुक्त किए जाने का अनुरोध किया था। विशेष न्यायाधीश जे के पांडया ने वंजारा और अमीन की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने पिछले महीने दोनों आरोपी सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों, सीबीआई और इशरत जहां की मां शमीमा कौसर की दलीलों पर सुनवाई पूरी की थी।

कौसर ने वंजारा की आरोप मुक्त किए जाने की याचिका को चुनौती दी थी। वंजारा गुजरात के पूर्व पुलिस उपमहानिरीक्षक रह चुके हैं। उन्होंने इस मामले में राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी.पी. पांडेय की तर्ज पर समानता के आधार का हवाला देते हुए आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया था। पांडेय को साक्ष्यों के अभाव में इस साल फरवरी में मामले में आरोप मुक्त कर दिया गया था। पुलिस अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए अमीन ने इस आधार पर आरोपमुक्त किए जाने की मांग की थी कि मुठभेड़ असली थी और मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा पेश किये गए गवाहों के बयान विश्वसनीय नहीं हैं।

इशरत जहां की मां ने अमीन और वंजारा की याचिकाओं का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि उनकी बेटी की ‘‘उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों तथा प्रभावशाली और शक्तिशाली स्थितियों पर बैठे लोगों के बीच हुई साजिश के बाद हत्या की गई।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि वंजारा ने इस सुनियोजित मुठभेड़ की साजिश में ‘‘प्रत्यक्ष और अहम भूमिका’’ निभाई। इशरत जहां मुंबई के निकट ठाणे के मुंब्रा इलाके में रहने वाली 19 वर्षीय महिला थी।

इशरत और तीन अन्य-जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर- को 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में पुलिस द्वारा एक ‘मुठभेड़’ में मार गिराया गया था। उस समय पुलिस ने दावा किया था कि चारों के आतंकवाद से संबंध थे और वे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश रच रहे थे।

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