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अहमदाबाद: गुजरात में 16 साल पहले हुए सबसे बड़े नरसंहार नरोदा पाटिया मामले में तीन आरोपियों पर फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट ने तीन दोषियों को 10 साल तक के लिए कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों आरोपियों पीजे राजपूत, राजकुमार चौमल और उमेश भरवाद को जेल के अलावे एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि इससे पहले 2012 में एसआईटी की विशेष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया था और तीनों आरोपियों समेत 29 को बरी कर दिया था। हालांकि बाद में हाई कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें तीनों आरोपियों को दोषी पाया गया और अन्य 29 को बरी कर दिया गया। बता दें कि हाईकोर्ट ने मामले के दोषी भाजपा नेता माया कोडनानी को बरी कर दिया था। वहीं बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को दोषी करार देते हुए 21 साल की सजा दी थी।

क्या है नरोदा पाटिया दंगा मामला

नरोदा पाटिया नरसंहार देश के सबसे बड़ी घटनाओं में गिना जाता है। करीब 16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में कुछ असमाजिक लोगों ने इस नरसंहार को अंजाम दिया था।

इसमें 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी और 33 से ज्यादा लोगों को जख्मी कर दिया गया था। घटना उस समय हुई जब 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियां जला दी गईं। इसके अगले दिन ही नरोदा पाटिया नरसंहार की लपटें उठी और नरोदा पाटिया बुरी तरह से जल गया। ट्रेन जलाने की घटना में कई कार सेवक बुरी तरह से जल कर मर गए थे।

माया कोडनानी को मिला था संदेह का लाभ

माया कोडनानी को बरी करने को लेकर हाई कोर्ट ने कहा था कि हिंसा के वक्त घटनास्थल पर माया कोडनानी मौजूद नहीं थीं। 'संदेह की लाभ' की वजह से उन्हें निर्दोष करार दे दिया गया। गुजरात हाई कोर्ट की जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए एस सुपेहिया की डिविजन बेंच ने मामले पर फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि कोडनानी के खिलाफ दोष साबित साबित नहीं हो पाए हैं।

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