तिरुनेलवेली: एक जिलाधिकारी ने मिसाल पेश की है। उसने अपनी बेटी को प्ले स्कूल के बदले आंगनबाड़ी केन्द्र पर भेजना शुरू किया है। यह चर्चा का विषय बना हुआ है। अब बड़े घर के लोगों के लिए बच्चों को प्ले स्कूल में भेजना एक फैशन बन चुका है लेकिन तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले की जिलाधिकारी ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने अपनी छोटी बेटी को दोस्त बनाने के लिए आंगनवाड़ी भेजा है। 2009 बैच की आईएएस अधिकारी शिल्पा प्रभाकर सतीश इस जिले की पहली महिला जिलाधिकारी हैं।
उन्होंने कहा, यह एकीकृत बाल विकास क्षेत्र है जो बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर रखते हैं। आईएएस अधिकारी ने कहा, हम (सरकार) उनमें से एक हैं जो आंगनवाड़ी को बढ़ावा देते हैं। यह जवाब उन्होंने तब दिया जब उनसे पूछा गया कि राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली आंगनवाड़ी में उन्होंने अपनी बच्ची को क्यों भेजा। वह चाहती हैं कि उनकी बच्ची समाज के सभी वर्गों के साथ पढ़े और जल्दी से तमिल भाषा सीख ले। उन्होंने कहा, हमारी आंगनवाड़ी में सभी सुविधाए हैं। इसका केंद्र मेरे घर के बगल में है और मेरी बेटी लोगों से मिलती है और उनके साथ खेलती है।
शिल्पा प्रभाकर ने कहा, हमारे पास तिरुनेलवेली में हजारों आंगनवाडिय़ा हैं और हर किसी में अच्छे अध्यापक हैं जो बच्चों की देखभाल करने के लिए काफी सुसज्जित हैं और हमारे पास अच्छा बुनियादी ढांचा और खेल सामग्री है। यह एक तरह का एकीकृत बाल विकास क्षेत्र है। यह पोषण विकास केंद्र है।
जिले के आंगनवाड़ी अध्यापकों को स्मार्टफोन दिए गए हैं जिसमें मौजूद एप के जरिए बच्चों की हाइट और वजन को रिकॉर्ड किया जाता है। इसके जरिए उनके स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखा जाता है। जहां बच्चे पढऩे के लिए जाएंगे वहां उनके स्वास्थ्य की जानकारी भेज दी जाएगी। यह प्रयास राष्ट्रीय पोषण मिशन का हिस्सा था। हम हर बच्चे की हाइट और वजन पर ध्यान रखते हैं और उनके माता-पिता को डाइट से जुड़ी काउंसिलिंग दी जाती है। इन आंगनवाडिय़ों में बच्चों का संपूर्ण विकास होता है।