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चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि कर्ज लेकर देश छोड़ कर भागने के बढ़ते मामलों को देखते हुए कर्जधारकों के पासपोर्ट जमा कराए जाएं। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को पासपोर्ट नियमों में जरूरी संशोधन करने चाहिए। ऐसा कर कर्ज डिफॉल्टर्स के देश छोड़कर भागने पर रोक लगाई जा सकेगी।

न्यायमूर्ति एस. वैद्यनाथन ने कहा, ‘यह सुझाव दिया जाता है कि डिफॉल्टर्स के भागकर दूसरे देश में जाने के मामलों पर रोक लगाने के लिए वित्तीय संस्थाओं की ताकत में इजाफा किया जाए। ऐसा करने पर वे कर्जधारक के पासपोर्ट को सरेंडर करा सकेंगी और संस्थान की जानकारी के बिना वे देश से बाहर नहीं जा सकेंगे। यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि कर्ज भरने तक पासपोर्ट न सौंपा जाए और ऐसा न करने की स्थिति में पासपोर्ट को अस्थायी तौर पर निलंबित किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि पासपोर्ट का नवीकरण कराने को लेकर भी बैंकों की मंजूरी जरूरी की जानी चाहिए।

एक निलंबित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की ओर से प्राधिकारी को दोबारा नौकरी पर लेने के आदेश की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह बात कही। इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सेवा इसलिए निलंबित की गई क्योंकि टीम जब निरीक्षण के लिए पहुंची थी तब वह आंगनबाड़ी में मौजूद नहीं थी। यही नहीं बच्चों के लिए बनने वाला खाना गाय के शेड में था।

पूरे मामले की सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बिना जानकारी दिए अपने किसी रिश्तेदार के पासपोर्ट पर सिंगापुर चली गई थी। इस पर कोर्ट ने महिला को जान-बूझकर ड्यूटी से बचने और कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया। कोर्ट ने महिला द्वारा विभाग को उसकी सेवा फिर बहाल करने का निर्देश देने की अपील भी खारिज कर दी।

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