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चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भले ही लड़के की आयु विवाह योग्य नहीं है लेकिन दोनों बालिग हैं। दोनों को अधिकार है कि वह अपने जीवनसाथी का चयन कर सकें और साथ रह सकें। जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया था। याचिका में दावा किया गया कि एसएसपी ने उनके मांग पत्र पर कार्रवाई नहीं की। 

याचिकाकर्ताओं को लड़की के माता-पिता द्वारा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी। कोर्ट को बताया गया कि लड़की 19 साल की है और लड़का 20 साल का है। वे एक दूसरे को एक साल से जानते हैं और शादी करना चाहते हैं। जब लड़की के माता-पिता को उनके रिश्ते के बारे में पता चला तो परिवारों के बीच झगड़े हुए और उन्हें बुरी तरह से पीटा गया। 

लड़की 20 दिसंबर को घर छोड़कर आ गई और इसके बाद से दोनों साथ रह रहे हैं। जस्टिस अलका सरीन की बेंच ने कहा कि जोड़ा बालिग है और उन्हें अधिकार है कि वे कानून के दायरे में रहकर स्वतंत्रता से अपनी जिंदगी जी सकें। समाज यह निर्धारित नहीं कर सकता कि कोई अपना जीवन कैसे जिए। संविधान प्रत्येक व्यक्ति को जीवन के अधिकार की गारंटी देता है। 

 

साथी चुनने की स्वतंत्रता जीवन के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू है। लड़की के माता-पिता यह निर्धारित नहीं कर सकते हैं कि वयस्क होने के बाद उसे किस तरह और किसके साथ जीवन बिताना है। लड़की अपने लिए यह तय करने का अधिकार रखती है कि उसके लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं। हाईकोर्ट ने फतेहगढ़ साहिब के एसएसपी को आदेश दिया कि सुरक्षा के लिए जोड़े ने जो मांगपत्र दिया था उस पर निर्णय लें और कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करें।

 

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