चंडीगढ़: केन्द्र के कृषि कानूनों को काउंटर करने के लिए पंजाब सरकार 19 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर एक कानून लाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में बुलाई गई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, यह बैठक एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई। मुख्यमंत्री ने इससे पहले यह एलान किया था कि उनकी सरकार संघीय विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ विधायी, कानूनी और अन्य रास्तों के जरिए लड़ेगी।
कुछ दिनों पहले, सीएम ने कहा था कि वह केंद्रीय कानूनों के "खतरनाक प्रभाव" को नकारने के लिए राज्य के कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे, जिसे किसानों के साथ-साथ राज्य की कृषि और अर्थव्यवस्था को "बर्बाद" करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बयान में कहा गया कि कैबिनेट के फैसले के साथ पंजाब के राज्यपाल को भारतीय संविधान के आर्टिकल 174 के क्लॉज (1) के मुताबिक 15वीं पंजाब विधानसभा के 13वें (विशेष) सत्र को बुलाने की मंजूरी दे दी है।
28 अगस्त को पिछले विधानसभा सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों के विरोध में बहुमत से एक संकल्पना प्रस्ताव पास किया गया था, जिसने बाद में कानून का रूप लिया।
विपक्षी दलों के साथ प्रदर्शनकारी किसान कांग्रेस का अगुवाई वाली राज्य सरकार से यह मांग करते आ रहे हैं कि वे नए कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं। किसानों ने पंजाब सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए अल्टीमेटम दिया था। वे इस बात की मांग कर रहे हैं कि हाल में संसद की तरफ से पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए।