चंडीगढ़: पंजाब के मोगा से आज (रविवार) राहुल गांधी की खेती बचाओ रैली शुरू हो रही है। इससे पहले राहुल गांधी ने यहां विशाल जनसभा को संबोधित किया। हाथरस की घटना का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने अपना भाषण शुरू किया। उन्होंने कहा कि जिस परिवार की बेटी मारी गई उनको ही घर में बंद कर दिया। मुख्यमंत्री ने उनको धमकाया। यह है हिंदुस्तान की हालत। जो अपराध करता है उनके खिलाफ कुछ नहीं होता है और जो मारा जाता है कुचला जाता है और दबाया जाता है उनके खिलाफ कार्रवाई होती है।
मामला पैसे और आप की जमीन का है
राहुल गांधी ने कहा कि सारा मामला किसान की जमीन और पैसे का है। पहली बार मैंने इसे भट्टा परसौल में देखा। जब भी ये चाहते थे किसानों की जमीन छीन लेते थे। हमने भूमि अधिग्रहण कानून को बदला। आपकी जमीन की रक्षा की। बाजार दर से चार गुना ज्यादा मूल्य दिलाया। नरेंद्र मोदी आए और उन्होंने हमारे नए कानून को रद्द किया। किसान की जमीन के लिए हम संसद में लड़े भी।
किसानों को खत्म करना चाहती है सरकार
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि पुराने जमाने में कठपुतली होती थी। जिन्हें पीछे से धागे के सहारे से चलाया जाता था। यह सरकार भी कुछ लोग चला रहे हैं। पंजाब-हरियाणा के किसानों ने हिंदुस्तान को खाद्य सुरक्षा दी। केंद्र सरकार ने एमएसपी, फसल खरीद और मंडी का ढांचा बनाया था। मोदी सरकार इन्हें खत्म करना चाहती है। लक्ष्य इनका फसल खरीद और एमएसपी को खत्म करने का है। इनको पता है कि जैसे ही एमएसपी और फसल खरीद खत्म होगी, वैसे ही पंजाब-हरियाणा के किसान खत्म हो जाएंगे। लेकिन कांग्रेस पार्टी ये करने नहीं देगी।
राहुल बोले- इन कानूनों करेंगे रद्द
अंग्रेजों ने हिंदुस्तान के किसानों को खत्म कर देश को गुलाम बनाया। यही हाल केंद्र सरकार का है। मैं ये नहीं कर रहा हूं कि इस सिस्टम में कमी नहीं है। जरूर सिस्टम में कमी है। सिस्टम को बदलने की जरूरत है। मगर सिस्टम को नष्ट करने की जरूरत नहीं है। अगर आप ने सिस्टम को नष्ट कर दिया तो किसान की रक्षा के लिए कुछ नहीं बचेगा। किसान मारा जाएगा। मैं और कांग्रेस पार्टी किसान आंदोलन के साथ खड़ी है। जिस दिन हमारी सरकार आएगी उस दिन हम इन काले कानून को रद्द कर फेंक देंगे। पंजाब-हरियाणा और पूरे हिंदुस्तान का किसान पीछे नहीं हटेगा।
कोरोना काल में ये कानून लाने की जरूरत क्यों?
राहुल गांधी ने कहा कि कोविड के समय इन तीन कानूनों को लागू करने की क्या जरूरत थी। अगर इन्हें लागू करना है तो लोकसभा और राज्यसभा में बातचीत करते। पीएम ने कहा कि किसानों के लिए कानून बनाए जा रहे है। अगर किसान इन कानून से खुश है तो पूरे देश में आंदोलन क्यों हो रहे हैं। पंजाब का किसान आंदोलन क्यों कर रहा है। नोटबंदी की तो कहा कालाधन मिट जाएगा। जीएसटी लागू कर छोटे व्यापारी और दुकानदारों को खत्म किया। कोविड आया तो देश के बड़े उद्योगपतियों का कर्जा माफ किया। उनका टैक्स माफ किया मगर गरीबों और किसानों की कोई मदद नहीं की।
ये बोले नवजोत सिंह सिद्धू
सिद्धू ने कहा कि अगर लोगों में रोष और आक्रोश आ जाए तो दिल्ली की सरकार को उलटना निश्चित है। ये लिख लो। आज किसान घबराया हुआ और सड़कों पर आया । पंजाब का किसान अन्न पैदा कर ही अन्नदाता बना। पंजाब को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की लड़ाई क्यों लड़नी पड़ी। क्योंकि पंजाब ने 80 करोड़ का पेट भरा। आज केंद्र सरकार एहसास फरामोश हो गई है। ये सरकार पूंजीपति के हाथों में सबकुछ देना चाहती है। जबरदस्ती पास किए गए ये काले कानून का विरोध करता हूं।
यह विविधता और संघीय संरचना पर हमला है। सिद्धू ने शायरी कहते हुए कहा कि जो भरा नहीं भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं, वह ह्रदय नहीं पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं...पंजाब का प्यार नहीं। ये हमारे अधिकार पर डांका डाल रहे हैं। पांच लाख मजदूर का अस्तित्व मिटा देंगे। हमारे बाप-दादे ने मिलकर ये मंडिया बनाई। जहां मंडिया नहीं है वहां किसान मजदूरी कर रहे हैं। केंद्र सरकार अमेरिका और यूरोप में फेल हुए सिस्टम को लागू कर रही है।
सोनिया गांधी ने सभी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिए है कि इन कानूनों को रद्द कर पंजाब का कानून बनाओ।सत्र बुलाओ और अपने कानून बनाओ। राज्य भी कानून बना सकता है। केंद्र से लड़िए और पेट के अधिकार के लिए बात कीजिए। नवजोत सिंह सिद्धू ने मंच से कहा कि अगर कानून वापस नहीं लेते तो हम क्या करेंगे। यह हमें शंभू सीमा से आगे नहीं जाने देते हैं। पंजाब सरकार अगर दूध पर एमएसपी दे सकती है तो बाकी में क्यों नहीं। यह जिम्मेदारी भी सरकार को उठानी होगी। सरकारें समस्या के हल के लिए होती हैं।
हिमाचल सरकार अगर सेब पर एमएसपी दे सकती है तो पंजाब सरकार को भी फसल पर खुद न्यूनतम समर्थन मूल्य देना होगा। एमएसपी सबसे पहले कांग्रेस ने दी थी। खाद्य सुरक्षा कांग्रेस ने दी है, तो पंजाब सरकार खुद एमएसपी दे और भंडारण की क्षमता दे। सिद्धू ने इस दौरान राहुल गांधी, सुनील जाखड़, पंजाब प्रभारी हरीश रावत का धन्यवाद किया।
दरबार-ए-वतन में जब इक दिन सब जाने वाले जाएंगे
कुछ अपनी सज़ा को पहुंचेंगे, कुछ अपनी जज़ा ले जाएंगे
ऐ ख़ाक-नशीनो उठ बैठो वो वक़्त क़रीब आ पहुंचा है
जब दिल्ली के तख़्त गिराए जाएंगे, जब ताज उछाले जाएंगे
यह रहेगा रोड शो का मैप
4 अक्तूबर: मोगा के निहाल सिंह वाला के बदनी कलां से एक सार्वजनिक बैठक से रोड शो की शुरुआत होगी। इसके बाद लुधियाना के जगराओं, चकर, लक्खा और माणूके होते हुए रायकोट के जटपुरा में एक जनसभा के साथ ही संपन्न होगा।
5 अक्तूबर: रोड शो की शुरुआत बरनाला चौक, संगरूर में समारोह से होगी। यहां से राहुल जनसभा के लिए भवानीगढ़ तक कार से जाएंगे। फतेहगढ़ छाना और बाहमना में समारोह। पटियाला के समाना की अनाज मंडी में जनसभा में शिरकत करेंगे राहुल गांधी।
6 अक्तूबर : पटियाला के दूधन साधा में होने वाली जनसभा में राहुल गांधी किसानों को संबोधित करेंगे। फिर पिहोवा सीमा से होते हुए कांग्रेस का रोड शो हरियाणा में प्रवेश करेगा।
कृषि कानूनों पर गर्म है पंजाब की सियासत
बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर इस समय पूरे पंजाब में माहौल गर्म है। इस कानून के विरोध में पंजाब की 31 किसान यूनियनें सड़कों पर उतर चुकी हैं। पंजाब के गांवों में इन कानूनों के खिलाफ भारी आक्रोश है। सभी राजनीतिक दलों की नजर अब किसानों के वोट बैंक पर है।
यही कारण है कि सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी इस कानून के विरोध में है। ऐसे में अकाली दल भी पीछे नहीं है। हरसिमरत कौर बादल भी मंत्री पद से इस्तीफा देकर कानून के विरोध में उतर चुकी हैं। यही नहीं अकाली दल ने तो भाजपा से नाता भी तोड़ लिया है। इस समय अकाली दल भी सड़कों पर उतर चुका है। आम आदमी पार्टी भी किसानों के पक्ष में है।