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चंडीगढ़: पंजाब में किसानों के विरोध के बीच केंद्र सरकार की सरकार में सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने सोमवार को लोकसभा में पेश किए गए किसान अध्यादेशों का विरोध किया है। पार्टी का कहना है कि कैबिनेट में ये बिल पास करने से पहले केंद्र सरकार ने उससे कोई सलाह नहीं ली थी। अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को कहा, 'सरकार को एसएडी जैसी पार्टियों, जो किसानों और गरीबों की पार्टियां है, उनसे पहले सलाह लेनी चाहिए थी। हमसे इस अध्यादेश के बारे में कुछ नहीं कहा गया था। जब इसे कैबिनेट में लाया गया, तो हमारे प्रतिनिधि ने सवाल उठाए थे। यह अध्यादेश पंजाब को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं। पंजाब के किसानों को उनके सवालों के जवाब नहीं मिले हैं।'

पार्टी ने केंद्र के इस कदम का पहले समर्थन किया था, लेकिन शनिवार को अकाली दल की कोर समिति की एक बैठक हुई थी, जिसमें पार्टी ने केंद्र से इन तीन अध्यादेशों को लोकसभा में तब तक न लाने की अपील की थी, जब तक किसानों के आरक्षण के मुद्दे पर बात नहीं हो जाती। इसके बाद पार्टी ने अपना रुख बदल लिया है।

 

बता दें कि पंजाब और हरियाणा में किसान इन तीन कृषि अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं। जो 5 जून को लाए गए थे-  किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, 2020। मंगलवार को लोकसभा में आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को पास भी कर दिया गया है, जो अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान करता है।

अकाली दल ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि किसानों की पार्टी होने के चलते वो ऐसी किसी भी चीज को समर्थन नहीं दे सकते, जो देश, खासकर पंजाब के 'अन्नदाताओं' के खिलाफ जाता हो। सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों की पार्टी है और वो उनकी हितों की रक्षा करने के लिए उनकी पार्टी कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है।

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