पटना: बिहार में तबादलों में भ्रष्टाचार आम बात है। लेकिन इस बार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इस पर लगाम कसने का मूड बना लिया है। इसी क्रम में उन्होंने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में डेढ़ सौ अंचलाधिकारियों और तीन सौ से अधिक अन्य अधिकारियों के तबादले पर व्यापक शिकायत मिलने के बाद रोक लगा दी। इधर, इस पूरे मामले पर विभाग के मंत्री रामसूरत राय का कहना है कि उन्होंने 70 से अधिक विधायकों की अनुशंसा पर अधिकारियों को इधर से उधर किया। लेकिन उनके विभाग पर माफिया का कब्जा है। राय ने ये भी धमकी दी है कि वो अब जनता दरबार नहीं करेंगे क्योंकि उनकी बात नहीं सुनी गई।
मंत्री ने अपने बयान में कहा, "ये मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है वो किसी भी विभाग की समीक्षा कर सकते हैं। उन्हें सूचना मिली होगी कि अधिक लोगों का तबादला कम समय में हो गया है। ये बात सही भी है कि कम समय वाले लोगों का तबादला हुआ है। लेकिन तबादले का कारण होता है। हमारे सभी जिले के डीएम किसी सीओ के खिलाफ परिपत्र देते हैं। फिर उस सीओ का तबादला होता है। कुछ का पारिवारिक कारण से तबादला होता है।
उन्होंने कहा, वहीं कुछ का विधायकों की पैरवी से भी तबदला होता है।"
भाजपा कोटा से मंत्री बने राय ने कहा, "एनडीए के 70-75 विधायकों की अनुशंसा थी कि चुने हुए लोगों का तबदला हो। इसमें मुझको जो समझ आया उसको हमने किया। एनडीए की बैठक में आज से 10 महीने पहले विधायकों ने समस्या उठाई थी कि हम लोगों की बात नहीं सुनी जाती। इस पर मुख्यमंत्री ने हमें इशारों में कहा था कि विधायकों की बातों को सुनना है। अब अगर मुख्यमंत्री को लगता है कि गलती सही हुई है, तो हुई होगी। ये तो समीक्षा की बात है। समीक्षा के बाद निर्णय हो जाएगा।"
मंत्री ने कहा, "कोई दिक्कत की बात नहीं है। विभाग में परेशानी होते रहती है। एक साथ सबका मन पूरा नहीं हो सकता है। हमारे विभाग में हमें भूमाफिया से निपटना पड़ता है। उनकी हमने कमर तोड़ने का काम किया है। तो ये लोग जो परेशान हो रहे हैं, तो ये भी अपनी बातें सिंडिकेट बनाकर कहीं ना कहीं से रखवाने का काम करते हैं। समय के साथ सारी बातें सामने आ जाएंगी।"