पटना: नीतीश कुमार ने 26 साल बाद माना है कि उन्होंने चारा घोटाले में याचिकाकर्ता बनने से इंकार कर दिया था और उनका इससे कोई लेना देना नहीं है। चारा घोटाले की जांच के 26 साल बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को माना कि जब इस मामले में 1996 में पीआईएल दायर हो रही थी तब उन्होंने याचिकाकर्ता बनने से इंकार कर दिया था। नीतीश ने कहा कि न हम केस किए थे, न कुछ किया है और कई सारे मामले दायर करने वाले अब लालू यादव के साथ हैं।
हालांकि नीतीश कुमार ने इससे पूर्व भी लालू यादव के साथ गठबंधन के समय कहा था कि चारा घोटाले के मामले से उनका कोई सम्बंध नहीं है। लेकिन जब सोमवार को लालू यादव को सजा मिलने की खबर आई तो नीतीश ने प्रतिक्रिया देते हुए सारी बातें औपचारिक रूप से ऑन रिकॉर्ड विस्तार से कहीं। नीतीश ने माना कि जब केस किया जा रहा था और लोग उनके पास आए, लेकिन उन्होंने ये कहकर मना कर दिया कि यह सब मेरा काम नहीं है। बाकी लोग केस किए, कुछ लोग इधर हैं और कुछ उधर हैं।
हालांकि नीतीश कुमार का कहना था कि इस मामले के कई याचिकाकर्ता अब उनके साथ वापस चले गए हैं। उन्होंने खासकर राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का नाम लिए बिना कहा कि उन्होंने उनका लालू यादव के साथ सम्बंध विच्छेद कराया और याचिकाकर्ता थे, वे वापस उनके साथ चले गए हैं। उनका कहना था कि उन लोगों से पूछा जाना चाहिए क्योंकि ना उन्होंने केस किया था ना कुछ और। नीतीश ने कहा कि वे केस वाले नहीं हैं।
हालांकि लालू की सजा पर 'नो कॉमेंट' कहते हुए नीतीश ने कहा कि ऊपरी अदालत में अपील करने का लालू यादव के पास विकल्प है। हालांकि शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन माना जा रहा हैं कि राष्ट्रीय जनता दल के नेता नीतीश पर जल्द ही जवाबी हमला करेंगे।