नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में आगामी उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने नौ विधानसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। हालांकि, इन उपचुनावों की तारीख का एलान अभी नहीं हुआ है। माना जा रहा है चुनाव आयोग 29 सितंबर को इन चुनावों की तारीख की घोषणा कर सकता है। यह कांग्रेस की दूसरी सूची है।
इसके अनुसार जौरा विधानसभा सीट से पंकज उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया गया है वहीं, सुमावली से अजब कुशवाहा को मौका दिया गया है। ग्वालियर पूर्व से सतीश सिकरवार उम्मीदवार होंगे तो पोहरी विधानसभा सीट से हरिबल्लभ शुक्ला कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस ने सुरखी विधानसभा सीट से हाल ही में भाजपा से आईं पारुल साहू कौ मौका दिया है तो मंधाता से उत्तम राज नारायण सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है। बडनावर से अभिषेक सिंह टिंकू बाना कांग्रेस प्रत्याशी होंगे तो सुवासरा के राकेश पाटीदार ताल ठोकेंगे।
इससे पहले 11 सितंबर को कांग्रेस ने 15 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। बता दें कि देश में अभी 64 विधानसभा सीट और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने हैं। उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए चुनाव आयोग इन दिनों उम्मीदवार से नामांकन पत्र, शपथ पत्र और नामांकन को लेकर सिक्युरिटी मनी ऑनलाइन ही जमा करा रहा है। हालांकि, चुनाव के लिए अभी तक तारीखों का ऐलान नहीं हो पाया है। यह चुनाव मध्य प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए काफी अहम है क्योंकि यहां पहले कमलनाथ की अगुवाई कांग्रेस की सरकार थी लेकिन बीच में राजनीतिक समीकरण बदल गए और राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया।
वहीं, राजनीतिक पार्टिया चुनाव प्रचार की भी तैयारी में हैं। मध्य प्रदेश के अशोकनगर में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ मंच पर दिखे। दोनों नेताओं ने अपनी इस जोड़ी तो शिव-ज्योति एक्सप्रेस का नाम दिया।
राजपुर में सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, कमलनाथ जैसे मुख्यमंत्री का आचार डालेंगे क्या, जो अपने विधायकों की नहीं सुन रहे थे। इसलिए महाराज ने सरकार को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। मुख्यमंत्री चौहान ने पूर्व कांग्रेस सरकार से मिले खाली खजाने पर कहा कि कांग्रेस की नीति, नीयत और नेता ठीक नहीं हैं, इसलिए लक्ष्मीजी उनसे रूठीं थीं।