भोपाल: कोरोना वायरस महामारी के बीच मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने प्रदेश की पूर्ववर्ती कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार के अंतिम छह माह के शासनकाल के दौरान लिए गए निर्णयों की समीक्षा के लिये मंत्रिसमूह का गठन किया है। कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद चौहान इस साल 23 मार्च को मुख्यमंत्री बने हैं।
अभी कोरोना से निपटना है, राजनीति के लिए बहुत समय: कांग्रेस
हालांकि, इस पर कांग्रेस ने चौहान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ''कोरोना वायरस की महामारी को लेकर अपनी असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए यह समिति गठित की गई है। अभी समय कोरोना वायरस से निपटने का है, राजनीति के लिये तो बहुत समय है।''
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ''मध्य प्रदेश सरकार ने 20 मार्च, 2020 से छह माह पूर्व की अवधि में पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के दौरान राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णयों की समीक्षा के लिये बुधवार को मंत्रिसमूह का गठन किया।'' उन्होंने कहा, ''इस मंत्रिसमूह में गृह तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जल-संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल शामिल हैं।''
मालूम हो कि कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके कारण कमलनाथ ने इस साल 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान 23 मार्च को चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, ''कांग्रेस हर तरह की समीक्षा व जांच का स्वागत करती है, लेकिन अभी समय कोरोना वायरस से निपटने का है, राजनीति के लिये तो बहुत समय है।'' उन्होंने कहा, ''इस महामारी के संकट के दौरान सिर्फ अपनी असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए इस तरह का निर्णय लिया गया है।'' सलूजा ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता सिर्फ़ कोविड-19 से निपटने की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार से प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण संभल नहीं रहा है और प्रदेश में संक्रमित लोगों का व मौतों का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने इस समिति के सदस्यों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बेहद आश्चर्य है कि इसमें से एक सदस्य के खिलाफ पूर्व में ई-टेंडर से लेकर स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटालों में भूमिका को लेकर जांच चल रही है। उनका परोक्ष इशारा मिश्रा की ओर था। सलूजा ने कहा कि वहीं, एक सदस्य (तुलसी सिलावट) पिछली कमलनाथ सरकार में खुद मंत्री थे और कोरोना वायरस की महामारी के दौरान भगोड़े साबित हुए थे। उन्होंने कहा कि समिति के एक अन्य सदस्य पर रेत उत्खनन को लेकर पूर्व की शिवराज सरकार में कई तरह के आरोप लगे थे।
वहीं, भाजपा ने दावा किया कि मंत्री समूह का गठन पूर्ववर्ती कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के अंतिम छह माह के शासनकाल के दौरान कोरोना वायरस से संबंधित निर्णयों की समीक्षा के लिए ही किया गया है। मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया, ''कोविड-19 के फैलने से पूर्व कई निर्णय लिए जाने की जरूरत थी, क्योंकि उनका कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति पर असर पड़ रहा है। राज्य सरकार का पूरा फोकस कोरोना वायरस को जल्द से जल्द प्रदेश से खत्म करने पर है।''
उन्होंने कहा, ''पूर्ववर्ती सरकार के निर्णयों की समीक्षा किये जाने की जरूरत है, ताकि कोरोना वायरस की महामारी के खतरे से निपटने के लिए उचित बंदोबस्त किये जा सकें और कोरोना वायरस की ताजी स्थिति पर नये सिरे से निर्णय लिए जा सकें।''