भोपाल: शिवराज सिंह चौहान ने 29 दिन बाद मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया है। सिंधिया समर्थक दो और भाजपा के तीन विधायकों को राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। भाजपा से नरोत्तम मिश्रा, मीना सिंह और कमल पटेल ने जबकि सिंधिया गुट से तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने शपथ ली। फिलहाल मंत्रिमंडल का स्वरूप छोटा रखा गया है। हालांकि लॉकडाउन हटने के बाद अगले महीने मंत्रिमंडल का विस्तार किए जाने की आशंका है।
राज्यपाल ने सबसे पहले डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। वे शिवराज सिंह सरकार में पहले भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वह 1990 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुने गए थे। इसके बाद वे दतिया से 1998, 2003, 2008 और 2013, 2019 में विधायक चुने गए। उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। दूसरे नंबर पर तुलसी सिलावट को राज्यपाल ने मंत्री पद की शपथ दिलाई। वे कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं और उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है।
वे कमलनाथ सरकार के 22 बागी विधायकों में शामिल थे।
तीसरे नंबर पर कमल पटेल ने मध्यप्रदेश के मंत्री के तौर पर शपथ ली। वे मध्यप्रदेश भाजपा के नेता हैं। वह पांच बार- 1993, 1998, 2003, 2008 और 2018 में हरदा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए हैं। वे छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं।
चौथे नंबर पर गोविंद सिंह राजपूत ने पद एवं गोपनियता की शपथ ली। वे तीन बार सागर के सुरगी से विधायक रह चुके हैं। वे कमलनाथ सरकार के 22 बागी विधायकों में शामिल थे।
पांचवे नंबर पर मीना सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली। अपने पति की मौत के बाद मीना सिंह ने 2008 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने पर शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को यहां राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके साथ ही वे कोरोना के कारण उपजे हालातों से लगातार जूझ रहे हैं। मंत्रिमंडल गठन को लेकर पिछले लगभग एक सप्ताह से कवायद तेज हो गई थी।
दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस 15 वर्षों बाद सत्ता में आई थी, लेकिन वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के कांग्रेस से बगावत के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक माह पहले 20 मार्च को त्यागपत्र देना पड़ा था। इसके बाद 23 मार्च को चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में सदस्यों की संख्या के मान से (अधिकतम 15 प्रतिशत) मंत्रिमंडल में अधिकतम 35 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।