नई दिल्ली: मध्यप्रदेश कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 16 बागी विधायकों ने एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को अपने इस्तीफे भेजे हैं। इन विधायकों ने स्पीकर से कहा है कि व्यक्तिगत तौर पर मिलना संभव नहीं है। जैसे छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए हैं, वैसे ही हमारे इस्तीफे भी स्वीकार करें। गौरतलब है कि विधानसभा स्पीकर ने शनिवार को मध्यप्रदेश के छह मंत्रियों के विधानसभा सदस्यता से त्याग पत्र मंजूर कर लिए हैं। काग्रेस के बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को पत्र लिखे हैं।
सभी विधायकों के पत्रों का मजमून एक जैसा है। इन पत्रों में विधानसभा स्पीकर से कहा गया है कि ''प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था और अनिश्चितता के वातावरण में स्वयं प्रत्यक्ष उपस्थित होकर आपसे मिलना संभव नहीं है। आपसे आग्रह है कि कृपया जिस तरह कल 14 मार्च 2020 को आपने छह विधायकों के त्याग पत्र स्वीकृत किए उसी प्रकार मेरा भी त्याग पत्र स्वीकृत करने की कृपा करें।''
विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे भेजने वाले विधायक जजपाल सिंह जज्जी, बृजेंद्र सिंह यादव, रणवीर सिंह जाटव, कमलेश जाटव, गिर्राज दंडोतिया, मनोज चौधरी, आरपीएस भदौरिया, रक्षा सरौनिया, सुरेश धाकड़, राज्यवर्धन सिंह प्रेम सिंह, बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, जसमंत सिंह जाटव, मुन्नालाल गोयल, रघुराज सिंह कंषाना और ऐदल सिंह कंषाना हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन करने वाले छह पूर्व मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए। इन मंत्रियों ने 10 मार्च को इस्तीफे दिए थे। अध्यक्ष ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न तोमर, तुलसीराम सिलावट और इमरती देवी के इस्तीफे स्वीकार कर लिए।
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति की ओर से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि 10 मार्च को विधानसभा सदस्यों के इस्तीफे की सूचना प्राप्त हुई थी। इसके बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि त्याग पत्र स्वेच्छा से दिए गए हैं, सदस्यों को पहली बार 13 मार्च को विधानसभा में उपस्थित होने के लिए सूचित किया गया, लेकिन सदस्य नहीं आए। इसके बाद 14 मार्च को भी अवसर देने के बावजूद वे नहीं आए।
अध्यक्ष ने कहा है कि विधायकों द्वारा मीडिया को दिए गए समाचारों से प्रश्न उठ रहे हैं। छहों मंत्रियों को राज्यपाल ने बर्खास्त कर दिया है। इन सदस्यों का आचरण आश्चर्यजनक प्रतीत हो रहा है और वे विधानसभा सदस्य रहने के योग्य नहीं हैं। इसलिए विधानसभा से दिए गए त्यागपत्र स्वीकार किए जाते हैं।