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इंदौर: मध्यप्रदेश के कुख्यात व्यापमं घोटाले के दो व्हिसलब्लोअर 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा के कब्जे वाली अलग-अलग सीटों पर बतौर उम्मीदवार किस्मत आजमा सकते हैं। दोनों व्यक्ति अपनी चुनावी दावेदारी के संबंध में सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं। व्यापमं घोटाले का खुलासा करने वाले कार्यकर्ताओं में शामिल डॉ. आनंद राय ने बुधवार को पत्रकारों को बताया, 'मैं इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-पांच से चुनाव लड़ने पर विचार कर रहा हूं।'

उन्होंने सूबे में सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, 'व्यापमं घोटाले के कई पीड़ितों को अब तक इंसाफ नहीं मिला है। करोड़ों रुपये के इस फर्जीवाड़े की कई बड़ी मछलियां अब भी जांच एजेंसियों की गिरफ्त से बाहर हैं। मैं इन हालात में बदलाव के लिये सियासत में आना चाहता हूं।' राय, इंदौर के जिला अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के रूप में प्रदेश सरकार की सेवा में पदस्थ हैं। उनकी जिस इंदौर-पांच सीट पर नजर है, उस पर वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में वरिष्ठ भाजपा नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री महेंद्र हार्डिया ने 14,418 वोटों से जीत हासिल की थी।

कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी उनके नजदीकी प्रतिद्वंद्वी थे।

इस बीच, व्यापमं घोटाले के एक अन्य व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी (28) ने बताया कि वह ग्वालियर (पूर्व) सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में अपने हितैषियों से राय-मशविरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'व्यापमं घोटाला सूबे के लोगों की शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सरीखी बुनियादी सुविधाओं को प्रभावित करने वाला मामला है। इस घोटाले की उचित जांच के लिये मैं सरकार से लेकर जांच एजेंसियों तक अपनी बात रख चुका हूं। लेकिन रसूखदार लोग जांच की आंच से अब तक बचे हैं। अब मैं इस मामले को मतदाताओं के बीच ले जाना चाहता हूं।'

वरिष्ठ भाजपा नेता और प्रदेश की मौजूदा नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री माया सिंह ने वर्ष 2013 के पिछले लोकसभा चुनावों में ग्वालियर (पूर्व) क्षेत्र में महज 1,147 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। कांग्रेस प्रत्याशी मुन्नीलाल गोयल उनके नजदीकी प्रतिद्वंद्वी थे। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) से जुड़े घोटाले का खुलासा वर्ष 2013 में हुआ था। यह मामला गिरोहबाजों, अधिकारियों और सियासी नेताओं की कथित सांठ-गांठ से राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में उम्मीदवारों के गैरकानूनी प्रवेश से जुड़ा है। व्यावसायिक परीक्षा मंडल की आयोजित प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इसका आधिकारिक नाम बदलकर 'प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड कर दिया था।'

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