पुणे: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक देश में 'सामाजिक भेदभाव' बरकरार है, आरक्षण नीति जारी रहनी चाहिए। पुणे में 'महाराष्ट्र प्रौद्योगिकी संस्थान' द्वारा आयोजित 'छात्र संसद' में एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा, ''जब तक सामाजिक भेदभाव मौजूद है, आरक्षण जारी रहना चाहिए, लेकिन इसे ईमानदारी के साथ लागू किया जाना चाहिए...'' मोहन भागवत का कहना था कि आरएसएस की देश के संविधान से कोई असहमति नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के संबंध में आरक्षण नीति ईमानदारी के साथ लागू होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संविधान में नागरिकों के लिए दिए गए कर्तव्यों का भी पालन होना चाहिए। आरएसएस प्रमुख भागवत ने भगवान राम को 'हिन्दू संस्कृति का आदर्श' बताते हुए अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का एक बार फिर समर्थन किया। यह पूछे जाने पर कि क्या मंदिर बनने से गरीबों को रोटियां मिलनी शुरू हो जाएंगी, भागवत ने कहा, ''जब अब तक यह (मंदिर) नहीं बना तो क्या उन्हें अब तक रोटियां मिलीं...?'' बढ़ती असहिष्णुता के बारे में दृष्टिकोण से जुड़े एक सवाल पर भागवत ने कहा, ''सहिष्णुता और स्वीकार्यता हमारी संस्कृति की आत्मा हैं..." धर्म पर आधारित राजनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''यह उनसे पूछा जाना चाहिए, जो ऐसा करते हैं... यह सवाल मेरे लिए नहीं है...'' आरएसएस प्रमुख ने कहा, ''हम जो बोलते हैं, उसका अनुसरण करना चाहिए और अच्छे को अपनाना चाहिए...'' भागवत ने कहा कि संस्कृति भारतीय संविधान की आत्मा है, जिसमें बदलते समय के अनुसार असरदार बदलाव करने का प्रावधान है। भागवत इस कार्यक्रम में 'संस्कृति एवं संविधान' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ने सभी को स्वीकार किया और यह आम सहमति पर बना, जबकि पाकिस्तानी संविधान एक धर्म और समुदाय पर आधारित था। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ''पाकिस्तान की मन:स्थिति में सहिष्णुता या स्वीकार्यता की कोई गुंजाइश नहीं है...''