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नई दिल्ली: महाराष्ट्र के विधायक और भाजपा के प्रवक्ता राम कदम ने आज कहा कि लेखक-गीतकार जावेद अख्तर की किसी भी फिल्म को देश में तब तक प्रदर्शित नहीं होने दिया जाएगा, जब तक कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारियों से संघ की तुलना तालिबान से करने के लिए माफी नहीं मांगते। जावेद अख्तर ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा था कि तालिबान और "जो एक हिंदू राष्ट्र चाहते हैं" के बीच एक समानता है। आरएसएस, जो कि भाजपा का वैचारिक अभिभावक है, लंबे समय से यह मानता रहा है कि भारत एक हिंदू 'राष्ट्र' या राज्य है। इसके एक दिन बाद राम कदम ने उक्त टिप्पणी की है।

राम कदम ने एक वीडियो संदेश में कहा, "जावेद अख्तर का यह बयान न केवल शर्मनाक है बल्कि संघ और विश्व हिंदू परिषद के करोड़ों पदाधिकारियों और दुनिया भर में उनकी विचारधारा का पालन करने वाले करोड़ों लोगों के लिए दर्दनाक और अपमानजनक है।" उन्होंने यह संदेश ट्विटर पर साझा किया। राम कदम ने कहा कि इस संगठन के पदाधिकारी गरीब से गरीब व्यक्ति की सेवा करते हैं और कवि-गीतकार ने उनका अपमान किया है।

उन्होंने कहा कि "यह टिप्पणी करने से पहले उन्हें यह सोचना चाहिए था कि एक ही विचारधारा वाले लोग अब सरकार चला रहे हैं, राज धर्म को पूरा कर रहे हैं। अगर विचारधारा तालिबानी होती, तो क्या वह ये टिप्पणी कर पाते? इससे पता चलता है कि उनके बयान कितने खोखले हैं?''

घाटकोपर पश्चिम से विधायक राम कदम ने कहा, "हम उनकी किसी भी फिल्म को मां भारती की इस भूमि में तब तक नहीं चलने देंगे, जब तक कि वह संघ के उन पदाधिकारियों से हाथ जोड़कर माफी नहीं मांगते जिन्होंने राष्ट्र को अपना जीवन समर्पित कर दिया है।"

मशहूर कवि और गीतकार जावेद अख्‍तर ने शुक्रवार को तालिबान को बर्बर बताते हुए उसकी हरकतों की जमकर आलोचना की थी। उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा था कि इस बात में कोई शक नहीं कि तालिबानी बर्बर हैं और उनकी करतूतें निंदनीय हैं। इसके साथ ही वे यह जोड़ना नहीं भूले कि आरएसएस, विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल का समर्थन करने वाले भी ऐसे ही हैं। राज्‍यसभा सांसद रह चुके जावेद अख्तर ने कहा कि देश में मुस्लिमों का एक छोटा सा हिस्‍सा ही तालिबान का समर्थन कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि दक्षिणपंथियों की विचारधारा दमनकारी है।

एनडीटीवी के साथ चर्चा में खुलकर अपने विचार रखते हुए जावेद अख्‍तर ने कहा कि तालिबान और 'तालिबान की तरह बनने की चाहत रखने वालों' के बीच अजीबोगरीब समानता है। दिलचस्‍प बात यह है कि दक्षिणपंथी इसका इस्‍तेमाल खुद को प्रमोट करने के लिए इस उद्देश्‍य से करते हैं क‍ि उसी तरह बन सके, जिसका वे विरोध कर रहे हैं।

देश के मुस्लिमों की ओर से तालिबान का समर्थन किए जाने संबंधी सवाल कर उन्‍होंने कहा, 'मुझे उनका बयान शब्‍दश: याद नहीं है लेकिन कुछ मिलाकर उनकी भावना यह थी कि वे अफगानिस्‍तान में तालिबान का स्‍वागत करते हैं। मैं कहना चाहूंगा कि यह हमारे देश की मुस्लिम आबादी को छोटा सा हिस्‍सा हैं।' उन्‍होंने कहा, 'जिन मुस्लिमों से मैंने बात की, उनमें से अधिकतर हैरान थे कि कुछ लोगों ने ऐसे बयान दिए। भारत में युवा मुसलमान अच्‍छा रोजगार, अच्‍छी शिक्षा और अपने बच्‍चों के लिए अच्‍छा स्‍कूल चाहते हैं। लेकिन दूसरी तरह कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस तरह की संकीर्ण सोच में विश्‍वास रखते हैं, जहां महिला और पुरुषों से अलग-अलग व्‍यवहार होता है और पीछे की ओर ले जानी वाली सोच रखी जाती है।'

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