मुंबई: शिवसेना के उम्मीदवार को मुंबई का महापौर बनने के लिए समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस में मतभेद उभर आया है क्योंकि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इसका कड़ा विरोध किया है। पार्टी के पूर्व महानगर प्रमुख गुरूदास कामत ने कहा, ‘बीएमसी में शिवसेना से किसी तरह का गठबंधन करने या उसे परोक्ष समर्थन देने पर किसी तरह की चर्चा का मैं कड़ा विरोध करता हूं।’ बीएमसी चुनावों में खंडित जनादेश आने के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस में विचार चल रहा है कि इसे मुंबई का महापौर शिवसेना के उम्मीदवार को बनाने पर विचार करना चाहिए। भगवा खेमे में दरार को और चौड़ा करने के लिए इसे कांग्रेस की चाल माना जा रहा है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने शुक्रवार को संकेत दिया कि शिवसेना पहले भाजपा नीत सरकार से बाहर निकले और उसके बाद उनकी पार्टी निर्णय करेगी। निकाय चुनावों से पहले महानगर कांग्रेस प्रमुख संजय निरूपम का कामत से मतभेद रहा। कामत ने कहा कि पार्टी ने शिवसेना और भाजपा दोनों की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उनके साथ गठबंधन करने का प्रयास उल्टा पड़ेगा। 227 सदस्यीय बृहन्न मुंबई नगरपालिका (बीएमसी) में कांग्रेस 31 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही और उसके जल्द किसी निर्णय पर पहुंचने की संभावना नहीं है और वह दूसरे राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों के खत्म होने का इंतजार कर सकती है जहां पार्टी धर्मनिरपेक्षता के आधार पर चुनाव प्रचार में जुटी हुई है।
शिवसेना और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और कांग्रेस का एक धड़ा अपने चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ इस मौके को भुनाना चाहता है। कांग्रेस के एक राज्यस्तरीय पदाधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि शिवसेना भाजपा की तुलना में कम दुष्ट है।’ बहरहाल पार्टी तब तक इस पर खुलेआम चर्चा या बयान नहीं देना चाहती जब तक कि उत्तरप्रदेश और अन्य राज्य विधानसभाओं के लिए हुए चुनाव के परिणाम नहीं आ जाते क्योंकि इस तरह के कदम का राजनीतिक प्रभाव हो सकता है। बृहस्पतिवार को चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन तीन निर्दलीय उम्मीदवारों के पार्टी में आ जाने से इसकी संख्या 87 हो गई है। नगर निकाय में किसी भी दल के लिए जादुई आंकड़ा 114 का है और उद्धव ठाकरे को यहां तक पहुंचने के लिए अभी और संख्या जुटानी होगी। बहरहाल शिवसेना लगातार कह रही है कि महापौर के पद पर उसका उम्मीदवार ही काबिज होगा। शिवसेना के उम्मीदवार को महापौर बनाने के लिए समर्थन देने के मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि यह गंभीर मामला है और पार्टी आलाकमान ही इस पर निर्णय कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘महापौर पद के लिए शिवसेना को समर्थन देने के बारे में राज्य इकाई में कोई चर्चा नहीं है। यह गंभीर मामला है, इसके गंभीर परिणाम होंगे।’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर हम समर्थन (शिवसेना) का निर्णय करते हैं तो हम भाजपा को महापौर पद से वंचित कर सकते हैं लेकिन कितने समय तक? अगर हम समर्थन नहीं करते हैं तो भाजपा का महापौर होगा।’ बहरहाल शिवसेना को समर्थन देने का विचार रखने वालों का मानना है कि भगवा पार्टी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन करने पर अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व लाभ-हानि को ध्यान में रखकर करेगा क्योंकि यह भगवा दल कई मुद्दे पर आक्रामक रुख रखता है जो कांग्रेस के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के विपरीत है। दूसरी तरफ मुंबई निकाय चुनावों में 82 सीट हासिल करने वाली भाजपा का मानना है कि वह बीएमसी प्रशासन में पारदर्शिता के मुद्दे से समझौता नहीं करेगी क्योंकि यही पार्टी का चुनावी एजेंडा था। मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने भाजपा कोर समिति की बैठक से पहले महानगर इकाई के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री फडणवीस से कल मुलाकात की और बीएमसी में कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से इंकार किया। बीएमसी चुनावों में शिवसेना को 84 सीट, भाजपा को 82 सीट, कांग्रेस को 31 सीट मिली जबकि राकांपा और राज ठाकरे की पार्टी मनसे को क्रमश: नौ और सात सीट मिली। इसके अलावा एआईएमआईएम को दो सीट, समाजवादी पार्टी को छह सीट, अखिल भारतीय सेना को एक और पांच सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते (इनमें से तीन शिवसेना में शामिल हो चुके हैं)।