मुंबई: बंबई हाईकोर्ट ने आज (बुधवार) महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री छगन भुजबल की मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) तहत गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका और जमानत की अर्जी को आज अस्वीकार कर दिया। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और शालिनी फान्सल्कर जोशी की खंडपीठ ने कहा, ‘याचिका को हम खारिज करते हैं। विस्तृत आदेश बाद में दिया जाएगा।’ भुजबल इस साल मार्च माह से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने मेडिकल आधार पर हाईकोर्ट से जमानत मांगी थी और कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें गिरफ्तार करने में कानून के अंतर्गत तय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। एनसीपी नेता ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर जमानत का अनुरोध किया था। गत 5 दिसंबर को भुजबल के वकील विक्रम चौधरी ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल को जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि उनकी तबियत ठीक नहीं हैं और यहां के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। वकील ने कहा कि मेडिकल आधार पर भुजबल की जमानत याचिका को निचली अदालत दो बार अस्वीकार कर चुकी है। हालांकि निचली अदालत से उन्होंने नियमित जमानत नहीं मांगी थी। चौधरी का कहना था कि पीएमएलए की धारा 19 के नियमों के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने भुजबल को गिरफ्तार करने का कोई आधार नहीं बताया इसलिए उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
महाराष्ट्र सदन घोटाला और कालिना भूमि मामले में भुजबल को 14 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद भुजबल ने पीएमएलए की धारा 19 और 45 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दूसरी तरफ सूत्रों ने बताया कि अस्पताल की रिपोर्ट से साफ हो गया कि वो पूरी तरह स्वस्थ हैं। भुजबल को गिरफ्तारी के बाद वैसे तो मुंबई के आर्थर रोड जेल में होना चाहिए था लेकिन वह इलाज के बहाने लगातार जेल के बजाय अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हुए। बॉम्बे अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भुजबल को आर्थर रोड जेल में भेजा जाना था, लेकिन वे फिर से जेजे अस्पताल में भर्ती हो गए। भुजबल ने अब तक सीने में दर्द, दांत में दर्द और डेंगू की शिकायत की, जिसके इलाज के लिए अलग-अलग समय पर वे अस्पताल में भर्ती हुए। महाराष्ट्र के पूर्व लोक निर्माण मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आठ दिसंबर को बंबई हाई कोर्ट को प्रगति रिपोर्ट सौंपी थी। अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंजूला चेल्लूर की अगुवाई वाली एक पीठ को यह रिपोर्ट सौंपी थी। जांच एजेंसी ने भुजबल और उनके परिवार के सदस्यों की उन संपत्तियों का ब्योरा भी दिया जिसे उसने जांच के दौरान कुर्क किया। कोर्ट ने रिपोर्ट एवं अन्य दस्तावेज रिकॉर्ड में लिये और मामले की सुनवाई क्रिसमस अवकाश के बाद जनवरी के लिए स्थगित कर दी। दिसंबर, 2014 में हाईकोर्ट ने राकांपा नेता भुजबल, उनके परिवार के सदस्यों और उनके नियंत्रण वाले एक शैक्षणिक न्यास के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए ईडी और महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों को मिलाकर एसआईटी बनाने का आदेश दिया था। अदालत आम आदमी पार्टी (आप) और पूर्व आप नेता अंजलि दमनिया की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि भुजबल, उनके परिवार के सदस्यों और उनके कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों की स्वामित्व वाली निजी कंपनियों को सरकारी ठेके के बदले में 82.36 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी। याचिका में भुजबल पर बतौर पिछली कांग्रेस-राकांपा सरकार में लोक निर्माण विभाग मंत्री के तौर पर दिल्ली में 100 करोड़ रुपये की लागत से नये महाराष्ट्र सदन के निर्माण का ठेका देने में एक ठेकेदार का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया गया है।