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मुंबई: महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकार तीसरे वर्ष में प्रवेश करने जा रही है और सहयोगी घटक शिवसेना द्वारा जब-तब छींटाकशी एवं आरक्षण के लिए मराठा समुदाय के अभियान सहित कई आंतरिक एवं बाहरी चुनौतियों के बावजूद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की स्वच्छ छवि को सबसे अधिक सकारात्मक पहलू के तौर पर देखा जाता है। ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषकों ने पिछले दो साल में इस सरकार के कामकाज को ‘मिला-जुला’ बताया। फडणवीस के नेक इरादों और विकास पर जोर दिए जाने के बावजूद उनकी टीम की ओर से उचित सहयोग एवं जोर की कमी के चलते मुख्यमंत्री के प्रयासों के अपेक्षित नतीजे सामने नहीं आए हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के साथ पार्टी ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और 46 वर्षीय फडणवीस ने 31 अक्तूबर, 2014 को शपथ ग्रहण की थी । कुछ मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा जिसमें मंत्रिमंडल में दूसरे स्थान पर रहे एकनाथ खड़से को त्यागपत्र देना पड़ा। विपक्षी कांग्रेस और राकांपा ने हालांकि फडणवीस के व्यक्तिगत करिश्मे और बेदाग प्रतिष्ठा को मानने इनकार करते हुये उन पर आरोप लगाया है कि वह आरोपों का समाना कर रहे अपने कुछ सहयोगियों की रक्षा कर रहे हैं। समीक्षकों का कहना है कि फडणवीस के पक्ष में एक और अच्छी बात यह है कि उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास प्राप्त है जो खडसे प्रकरण से साबित हो गया है।

उन्होंने कहा कि हालांकि मंत्रालय में विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे जैसे उनके कुछ सहयोगी मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा रखते हैं लेकिन वे फडणवीस के लिए वास्तविक खतरा नहीं हैं।

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