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पुष्कर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के पहले दिन असम एनआरसी की अंतिम सूची से कई भारतीय नागरिकों को बाहर रखे जाने पर चिंता जताई गई। शनिवार को हुई इस चर्चा में दावा किया गया कि एनआरसी से बाहर रखे गए ज्यादातर भारतीय नागरिक हिंदू हैं। सूत्रों ने बताया कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम सूची पर आरएसएस से जुड़े संगठन ‘सीमा जागरण मंच’ ने विस्तृत जानकारी दी और चर्चा की। सूची 31 अगस्त को प्रकाशित हुई है और इससे 19 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर रखा गया है।

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद आरएसएस की यह पहली अखिल भारतीय समन्वय बैठक है। इसमें आरएसएस से जुड़े 35 संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इसमें भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, संगठन महासचिव बीएस संतोष और महासचिव राम माधव भी भाग ले रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि एनआरसी पर चर्चा के दौरान चिंता जताई गई कि कई भारतीय नागरिकों को भी सूची से बाहर रखा गया है। खास तौर से उन्हें जो पड़ोसी राज्यों से आकर वहां बस गए हैं।

उन्होंने कहा कि नेताओं ने यह चिंता भी जताई कि एनआरसी से बाहर रखे गए 19 लाख लोगों में से ज्यादातर हिंदू हैं। भाजपा ने एनआरसी की अंतिम सूची की आलोचना करते हुए कहा है कि यदि विदेशी पंचाट अपीलों के खिलाफ प्रतिकूल फैसला देता है तो पार्टी भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए कानून बनाएगी।

बैठक में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और उसके बाद घाटी में हालात पर भी एक प्रजेंटेशन दिया गया। सूत्रों ने बताया कि अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले का बैठक में संघ के सदस्यों ने स्वागत किया। उन्होंने इस फैसले को संगठन की विचारधारा के अनुरूप बताया। उन्होंने बताया कि आरएसएस समर्थित ‘पूर्व सैनिक सेवा परिषद’ ने भी कश्मीर में मौजूदा हालात और देश में सुरक्षा हालात पर अपने विचार रखे।

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