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गंगटोक: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने चीन-भारत सीमा पर नाथुला इलाके का कल दौरा किया और सेना तथा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के अधिकारियों से बातचीत की। सिक्किम के सीमावर्ती इलाके में डोकलाम और अग्रिम चौकियों के हवाई सर्वेक्षण का उनका कार्यक्रम खराब मौसम के कारण रद्द कर दिया गया।
इससे पहले राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा था कि रक्षा मंत्री ने डोकलाम-नाथुला इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया। सीतारमण ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा कि सीमा पर जब वह नाथुला पहुंचीं तो चीनी सैनिकों ने उनकी तसवीरें ली। उन्होंने ट्वीट कर कहा, मैंने बाड़ के दूसरी ओर कई चीनी सैनिकों को देखा जो नाथुला पहुंचने पर मेरी तसवीरें ले रहे थे।
उन्होंने बाद में सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की और सेना तथा राज्य के वन विभाग के बीच भूमि मुद्दे समेत विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने के लिए कहा।
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गंगटोक: सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग एक तरफ चीन के बढ़ते खतरे और दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच फंसने से नाराज हैं। उन्होंने पूरी स्थिति पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि सिक्किम के लोग चीन और बंगाल के बीच सैंडविच बनने के लिए भारत के साथ नहीं जुड़े थे। चामलिंग का बयान ऐसे समय आया है, जब चीन और भारत सिक्किम में आमने-सामने हैं। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में जारी गतिरोध की वजह से सिक्किम का मुख्य जीवनरेखा माने जाने वाले दो राष्ट्रीय राजमार्ग कई दिनों ठप पड़े हुए हैं। इससे नाखुश मुख्यमंत्री ने सिक्किम के नामची में एक जनसभा में कहा कि पिछले 30 साल में दार्जिलिंग में विरोध के चलते राज्य को करीब 60 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘चीन की ओर से नाथू ला सीमा पर दबाव बन रहा है। वहां युद्ध के हालात बने हुए हैं। दूसरी ओर सिलिगुड़ी से कहा जा रहा है कि वह सिक्किम में पेट्रोल और खाना नहीं आने देंगे। सिलीगुड़ी में हमारे लोगों को परेशान किया जा रहा है, हमारे सामान को रोका जा रहा है।’ पांचवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए पवन चामलिंग ने कहा कि एनएच-10 हमारी लाइफलाइन है, लेकिन गोरखालैंड विरोध के चलते पिछले 30 साल से यह सिक्किम की कमजोरी भी साबित हो रहा है।
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नई दिल्ली: नाथुला के जरिए मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की राह चीन ने रोक दी है। चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों के दो जत्थों को नाथूला-पास से आगे नहीं बढ़ने दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नाथुला के जरिए कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को कुछ कठिनाई हो रही है। इस मामले को चीन के साथ उठाया जा रहा है। माना जा रहा है कि आपसी संबंधों में आई कड़वाहट के चलते चीन ने जानबूझकर बाधा खड़ी की है। करीब एक सप्ताह इंतजार करने के बाद यात्री शेरथांग और गंगटोक वापस आ गए हैं। सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलांग ने इस मामले को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने उठाया है। गौरतलब है कि नाथुला का रास्ता भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए वर्ष 2015 में खोला गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निजी रुचि के चलते यह रास्ता खोला गया था। इसे दोनों देशों के बीच रिश्तों की बेहतरी का संकेत माना जा रहा था। नाथुला के रास्ते प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्रियों को चीनी परिवहन के जरिए कैलाश मानसरोवर ले जाया जाता है। बीते दिनों कई मुद्दों को लेकर भारत चीन के रिश्तों में तनातनी देखी गई है। एनएसजी की सदस्यता के मसले पर चीन भारत की राह में रोड़ा पैदा कर रहा है। मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के मुद्दे पर चीन ने कई बार संयुक्त राष्ट्र में वीटो का प्रयोग करके भारत की कोशिशों को ध्वस्त किया है। चीन - पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर दोनों देशों में विवाद है। चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना का भी भारत विरोध कर रहा है।
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गंगटोक: पर्यटन के लिहाज़ से सबसे अधिक कमाई वाले इस मौसम में पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग में अशांति और तनावपूर्ण माहौल का लाभ सिक्किम को मिल रहा है। इन दिनों गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) आंदोलन के कारण पर्यटक दार्जीलिंग के बजाय सिक्किम का रुख कर रहे हैं। सिक्किम के पर्यटन सचिव सी जांगपो ने कहा, "दार्जीलिंग में तनाव के कारण यहां (सिक्किम में) पर्यटन उद्योग में अचानक उछाल आ गया है।" दार्जीलिंग में जीजेएम आंदोलन के कारण वहां जाने की योजना बनाने वाले कई घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द करा दी हैं और उन्होंने सिक्किम जाने की योजना बनाई है। जांगपो ने कहा, "गंगटोक में पर्यटन संबंधी प्रतिष्ठानों में इस समय बहुत से ग्राहक हैं और आगामी कई दिनों के लिए वहां बुकिंग पूरी हो चुकी हैं।" पर्यटन सचिव ने कहा कि सिक्किम घूमने आए लगभग सभी पर्यटक या तो यात्रा के अपने दूसरे चरण में दार्जीलिंग जाने वाले थे या यहां आने से पहले वे दार्जीलिंग गए थे। ट्रैवल ऑपरेटरों को इस बात की चिंता है कि इतनी अधिक संख्या में पर्यटकों का प्रबंध करना मुश्किल है और सचिव ने भी इस प्रकार की चिंता व्यक्त की। जांगपो ने कहा, "हमने ट्रैवल ऑपरेटरों और होटलों से सेवा मानकों से समझौता किए बिना अधिक से अधिक संख्या में पर्यटकों को सेवाएं देने को कहा है, क्योंकि इस संबंध में किसी भी प्रकार के कुप्रबंधन से पर्यटन उद्योग की बदनामी हो सकती है।"
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