नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को 30वें सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लिया। वर्तमान सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे आज ही सेवानिवृत्त हुए हैं। चीन/पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर व्यापक ऑपरेशनल अनुभव रखने वाले जनरल द्विवेदी इससे पहले सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत थे।
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जन्म 1 जुलाई 1964 को हुआ था। उन्हें 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री जम्मू और कश्मीर राइफल्स में कमीशन मिला था। उन्हें करीब 40 साल का अनुभव है। अपनी लंबी और विशिष्ट सेवा के दौरान उन्होंने कई कमांड, स्टाफ और इंस्ट्रक्शनल में काम किया है। लेफ्टिनेंट उपेंद्र द्विवेदी की कमांड नियुक्तियों में रेजिमेंट 18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स, ब्रिगेड 26 सेक्टर असम राइफल्स, आईजी, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेना के उप प्रमुख के रूप में नियुक्त होने से पहले 2022-2024 तक महानिदेशक इन्फैंट्री और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ सहित कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं।
जनरल द्विवेदी ने 13 लाख कर्मियों वाली सेना का प्रभार ऐसे समय संभाला है, जब भारत चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है।
सेना प्रमुख के रूप में उन्हें थिएटर कमांड शुरू करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर नौसेना और भारतीय वायु सेना के साथ समन्वय करना होगा।
यहां से हुई पढ़ाई
लेफ्टिनेंट द्विवेदी की पढ़ाई सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज से हुई है। उन्होंने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज (महू) से भी कोर्स किया है। इसके अलावा उन्हें यूएसएडब्ल्यूसी, कार्लिस्ले, अमेरिका में प्रतिष्ठित एनडीसी समकक्ष पाठ्यक्रम में 'विशिष्ट फेलो' से सम्मानित किया गया। उनके पास रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम फिल और सामरिक अध्ययन और सैन्य विज्ञान में दो मास्टर डिग्री हैं।
पीवीएसएम, एवीएसएम समेत कई सम्मान मिले
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी परम विशिष्ट सेवा पदक (पीवीएसएम), अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) और तीन जीओसी-इन-सी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया है।
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अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी सैन्य कमांडर के तौर पर जनरल द्विवेदी ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सतत अभियानों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि द्विवेदी सीमा मुद्दे को हल करने के लिए चीन के साथ चल रही बातचीत में सक्रिय रूप से शामिल थे।
उनका भारतीय सेना की सबसे बड़ी सेना कमान के आधुनिकीकरण और लैस करने में भी योगदान था, जहां उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में स्वदेशी उपकरणों को शामिल करने का संचालन किया।