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नई दिल्ली (आशु सक्सेना): लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार (26 जून, 2024) को आपातकाल की निंदा का प्रस्ताव पढ़ा था। इस दौरान उन्होंने आपातकाल की कड़े शब्दों में निंदा की और इसे देश के इतिहास का एक काला अध्याय बताया था। इसी बीच राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष के सामने इमरजेंसी पर प्रस्ताव पर अपनी नाखुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऐसे राजनीतिक प्रस्तावों से हमें बचना चाहिए।

राहुल गांधी ने बिरला से जताई आपत्ति

राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष के सामने आपातकाल की निंदा के प्रस्ताव पर अपनी नाखुशी जाहिर की और कहा कि स्पीकर को ऐसा राजनीतिक प्रस्ताव नहीं लाना चाहिए था और इससे बचना चाहिए था। इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ राहुल गांधी ने आज स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की।

संसद भवन में राहुल गांधी की नेता विपक्ष के तौर पर स्पीकर बिरला से हुई मुलाकात के बाद वेणुगोपाल ने बताया कि यह शिष्टाचार भेंट थी जिसमें उनके साथ इंडिया गठबंधन के अन्य कई सहयोगी नेता भी शामिल थे। 

क्या बीजेपी लोकतंत्र रक्षक सेनानी का भत्ता बढ़ाएगी: अखिलेश यादव

आपातकाल की निंदा के प्रस्ताव पर अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने आज जो कुछ भी किया है, वह सिर्फ दिखावा है। उस समय (आपातकाल) सिर्फ वे ही जेल नहीं गए थे बल्कि सपा और अन्य नेताओं ने भी उस समय को देखा है। हम कब तक अतीत की ओर देखते रहेंगे? क्या बीजेपी लोकतंत्र रक्षक सेनानी को दिया जाने वाला भत्ता बढ़ाएगी?''

राहुल की बिरला से हुई मुलाकात

संसद भवन में राहुल गांधी की नेता विपक्ष के तौर पर स्पीकर बिरला से हुई मुलाकात के बाद वेणुगोपाल ने बताया कि यह शिष्टाचार भेंट थी जिसमें उनके साथ आईएनडीआईए गठबंधन के अन्य कई सहयोगी नेता भी शामिल थे।

ये नेता भी रहे मौजूद

लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद राहुल गांधी की अध्यक्ष से हुई पहली मुलाकात के दौरान उनके साथ समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव और डिंपल यादव, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले, राजद की मीसा भारती, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी तथा आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन सहित कुछ अन्य नेता मौजूदा थे।
आपातकाल पर राजनीति

वेणुगोपाल ने कहा है कि 26 जून लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपके चुनाव पर बधाई देने के समय सदन में एक सामान्य सौहार्दपूर्ण माहौल था जैसा कि ऐसे अवसरों पर पैदा होता है। मगर अध्यक्ष पद संभालने के औपचारिक भाषण के बाद अचानक आधी सदी पहले आपातकाल को लेकर उनकी ओर से प्रस्ताव लाना बेहद चौंकाने वाला है और स्पीकर का इस तरह राजनीतिक संदर्भ लाना संसद के इतिहास में अभूतपूर्व है।

 

 

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