नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार (21 दिसंबर) को राज्यसभा ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह तीन आपराधिक विधेयक- भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 पारित कर दिए।
राज्यसभा ने चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के बाद तीनों विधेयकों को ध्वनमित से अपनी स्वीकृति दी। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है। बता दें कि ये विधेयक राज्यसभा में ऐसे समय पारित हुए हैं, जब उच्च सदन से 46 विपक्षी सांसदों को उनके अमर्यादित व्यवहार के लिए निलंबित किया जा चुका था।
अमित शाह ने कहा तीन आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रक्रिया में एक नई शुरुआत होगी जो पूर्णतया भारतीय होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य पूर्ववर्ती कानूनों की तरह दंड देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है। उन्होंने कहा, ‘‘इस नए कानून को ध्यान से पढ़ने पर पता चलेगा कि इसमें न्याय के भारतीय दर्शन को स्थान दिया गया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी राजनीतिक न्याय, आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय को बरकरार रखने की गारंटी दी है। संविधान की यह गारंटी 140 करोड़ के देश को यह तीनों विधेयक देते हैं।’’
'आत्मा भी भारतीय, सोच भी भारतीय है...'
गृह मंत्री शाह ने कहा, ''इन कानूनों की आत्मा भारतीय है। पहली बार भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद से बनाए गए कानून से हमारी आपराधिक न्याय प्रक्रिया चलेगी। इसका मुझे बहुत गौरव है।’’ उन्होंने कहा कि इन कानूनों की आत्मा भी भारतीय है, सोच भी भारतीय है और यह पूरी तरह से भारतीय है।
गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम... इन तीनों कानूनों को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘इनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा करना था। इसमें कहीं भारत के नागरिक की सुरक्षा, उसके सम्मान और मानव अधिकार की सुरक्षा नहीं थी।’’
कानूनों के लागू होने के बाद ‘तारीख पर तारीख’ का दौर चला जाएगा: शाह
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद देश में ‘तारीख पर तारीख’ का दौर चला जाएगा और तीन साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल जाए, ऐसी प्रणाली देश में स्थापित होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह विश्व की सबसे आधुनिक और वैज्ञानिक न्याय प्रणाली होगी।’’
गृह मंत्री अमित शाह का कांग्रेस पर निशाना
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ''कांग्रेस पार्टी जब-जब सत्ता में आती थी, राजद्रोह का बड़े मजे से उपयोग करती थी और जब सत्ता से बाहर जाती थी तो कहती थी कि राजद्रोह औपनिवेशिक कानून है, इसे सामाप्त कर देना चाहिए। कांग्रेस कभी राजद्रोह को समाप्त नहीं करना चाहती थी। ये तो मोदी सरकार है, जो इस देश से राजद्रोह को हमेशा के लिए समाप्त कर रही है।''
शाह ने कहा, ''आपकी (विपक्ष) फितरत है, आप चुनाव घोषणा पत्र को घोषणा पत्र मानते हैं, हम उसे संकल्प पत्र मानते हैं। आपका इतिहास है, बोलकर भूल जाना, हमारा इतिहास है... मोदी जी जो कहते हैं पूरा करते हैं।''
उन्होंने कहा, ''हमने वादा किया था, इस देश की मातृशक्ति को नीति निर्धारण में हम उचित सम्मान देंगे। 33 प्रतिशत आरक्षण विधानमंडलों और लोकसभा में देकर आजादी के 75 वर्ष बाद इस देश की मातृशक्ति का सम्मान नरेंद्र मोदी सरकार ने किया।''
गृह मंत्री ने बताया स्वराज का मतलब
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ''वो कहते हैं, नए कानून की जरूरत क्या है? उन्हें स्वराज का मतलब ही नहीं मालूम है। स्व शब्द सिर्फ शासन से जुड़ा हुआ नहीं है। स्वराज मतलब है- जो धर्म को आगे बढ़ाए, वह स्वराज है, जो स्व भाषा को आगे बढ़ाए, वह स्वराज है, जो स्व संस्कृति को आगे बढ़ाए, वह स्वराज है, जो स्व शासन को आगे बढ़ाए, वह स्वराज है।
उन्होंने कहा, ''मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि बिल के लागू होने के बाद एफआईआर से लेकर फैसले तक सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन होंगी। भारत ऐसा देश होगा जहां आपराधिक न्याय प्रणाली में टेक्नोलॉजी का सबसे अधिक उपयोग किया जाएगा।''
गृह मंत्री ने कहा, ''हमने राजद्रोह के अंग्रेजी कांसेप्ट को समाप्त कर दिया है। अब शासन के खिलाफ कोई भी बोल सकता, क्योंकि सभी को वाणी स्वतंत्रता का अधिकार है। लेकिन देश के खिलाफ आप नहीं बोल सकते हो, देश के खिलाफ बोलोगे, देश के संसाधनों का नुकसान करोगे तो कठोर से कठोर सजा मिलेगी।''