नई दिल्ली: लोकसभा से हाल में निष्कासित की गईं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा ने खुद को मिले सरकारी आवास का आवंटन रद्द करने और सात जनवरी, 2024 तक इस घर को खाली करने के आदेश को चुनौती देते हुए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। इसमें आग्रह किया गया है कि संपदा निदेशालय के 11 दिसंबर के आदेश को रद्द कर दिया जाए या वैकल्पिक रूप से, मोइत्रा को 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे आने तक आवास पर कब्जा बनाए रखने की अनुमति दी जाए।
मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से उपहार स्वीकार करने और उनके साथ संसद वेबसाइट की अपनी यूजर आईडी और पासवर्ड साझा करने के लिए ‘‘अनैतिक आचरण'' का दोषी ठहराया गया था और आठ दिसंबर, 2023 को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। लोकसभा द्वारा उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश करने वाली आचार समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किए जाने के बाद उन्होंने अपने निष्कासन को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। इस मामले को 3 जनवरी 2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि संपदा निदेशालय का आदेश लोकसभा से उनके निष्कासन के बाद जारी किया गया है। मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, ‘‘संबंधित आदेश समय से पहले जारी किया गया क्योंकि याचिकाकर्ता के निष्कासन की वैधता भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।''
याचिका में कहा गया, ‘‘ऐसी परिस्थितियों में-जहां याचिकाकर्ता ‘अनधिकृत कब्जाधारी' है या नहीं, यह देश की शीर्ष अदालत के समक्ष निर्णयाधीन है, एक निष्पादन प्राधिकारी के रूप में प्रतिवादी संख्या एक (संपदा निदेशालय) याचिकाकर्ता को बेदखल करने के लिए सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जेदारों की बेदखली) अधिनियम 1971 के तहत कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है।''
मोइत्रा ने कहा कि वह 2019 के आम चुनाव में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गईं और उनकी पार्टी ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी वहां से अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। याचिका में कहा गया है कि चूंकि लोकसभा से निष्कासन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नहीं ठहराता, इसलिए वह फिर से चुनाव लड़ेंगी और उन्हें अपना समय और ऊर्जा अपने मतदाताओं पर केंद्रित करने की आवश्यकता होगी।
याचिका में कहा गया है कि आम चुनाव से पहले आवास मामले में अस्थिरता से पार्टी के सदस्यों, सांसदों, साथी नेताओं, दौरे पर आने वाले घटक दलों के सहयोगियों, प्रमुख हितधारकों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से जुड़ने संबंधी याचिकाकर्ता की क्षमता में बड़ी बाधा उत्पन्न होगी। मोइत्रा ने याचिका में कहा कि वह दिल्ली में अकेली रह रही हैं और उनके पास यहां कोई अन्य निवास स्थान या वैकल्पिक आवास नहीं है। याचिका में कहा गया कि यदि उन्हें सरकारी आवास से बेदखल किया जाता है, तो उन्हें चुनाव प्रचार के कर्तव्यों को पूरा करने के साथ नया निवास भी ढूंढ़ना होगा।