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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर पक्ष-विपक्ष में जारी जुबानी जंग के बीच सोमवार (18 दिसंबर) को 78 सांसदों को सदन से पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। इनमें राज्यसभा के 45 और लोकसभा के 33 सांसद शामिल हैं। मौजूदा शीतकालीन सत्र से अब तक 92 सांसदों को निलंबित किया गया है। इससे पहले गुरुवार (14 दिसंबर) को लोकसभा के 13 और राज्यसभा के एक सांसद को निलंबित किया गया था। इस कार्रवाई को विपक्षी दलों ने लोकतंत्र की हत्या बताया। वहीं सरकार ने कहा कि बार-बार लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति का अपमान किया जा रहा था।

संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर विपक्षी सांसद गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर अड़े रहे और दोनों ही सदनों में हंगामा किया। दिनभर के हंगामे के बाद दोपहर करीब साढ़े तीन बजे कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी समेत 33 सांसदों को लोकसभा से पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। इसके बाद करीब साढ़े चार बजे राज्यसभा से जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल सहित 45 सांसदों को निलंबित किया गया।

लोकतांत्रिक प्रणाली को कूड़ेदान में फेंका: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर निशाना साधा। खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘सबसे पहले कुछ लोगों ने संसद पर हमला किया। फिर मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है। तानाशाह मोदी सरकार द्वारा अभी तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी दो सरल और वास्तविक मांगें हैं- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संसद की सुरक्षा में अक्षम्य चूक पर संसद के दोनों सदनों में बयान देना चाहिए और इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।’’ खड़गे ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री किसी अखबार को साक्षात्कार दे सकते हैं, गृह मंत्री टीवी चैनलों को साक्षात्कार दे सकते हैं, लेकिन उनकी उस संसद के प्रति कोई जवाबदेही नहीं बची है- जो भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है!’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘विपक्ष विहीन संसद के साथ मोदी सरकार अब बिना किसी चर्चा के महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को पारित कर सकती है, विरोध की आवाज कुचल सकती है।’’

सरकार बोली- अपमान नहीं सहेंगे

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सांसदों के निलंबन पर विपक्षी आलोचनाओं पर कहा कि बार-बार ये लोग सदन का अपमान कर रहे थे। उन्होंने कहा, '' राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष और सहयोगी दल घमंडिया गठबंधन (विपक्षी गठबंधन इंडिया) के सदस्यों ने भद्दा हंगामा किया। सदन का अपमान किया। लोकतंत्र के मंदिर में देश को इन लोगो ने शर्मिंदा किया है। स्पीकर ओम बिरला और चेयरमैन जगदीप धनखड़ का अपमान किया गया। इसे देश नहीं सहेगा।''

सांसदों के निलंबन पर जयराम रमेश ने कहा कि लोकसभा के साथ राज्यसभा में भी ब्लडबाथ हुआ और 13 दिसंबर को हुई सुरक्षा चूक पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग करने और नेता प्रतिपक्ष को बोलने की इजाज़त देने की मांग करने पर इंडिया की पार्टियों के 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। मैं भी अपने 19 साल के संसदीय करियर में पहली बार इस सम्मान सूची में शामिल हूं। यह मर्डर आफ डेमोक्रेसी इन इंडिया है (मोदी)!

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सदन में विपक्ष का कोई नेता नहीं बचा है। उन्होंने कहा, ''मैं भी निलंबित सांसदों की लिस्ट में शामिल हूं। हमारी मांग थी कि हमारे जितने सांसद निलंबित हैं, उनकी बहाली हो और गृह मंत्री अमित शाह सदन में आकर जवाब दें। जो बयान वो टीवी पर बैठकर देते हैं वो बात सदन में आकर कहें।''

सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने संसद भवन की सीढ़ियों पर प्रदर्शन किया। इसमें विपक्षी नेता रघुपति राजा राम गाते हुए दिख रहे हैं। निलंबन के मसले पर विपक्षी गठबंधन इंडिया के फ्लोर लीडर्स मंगलवार (19 दिसंबर) को बैठक करेंगे।

साढ़े चार बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने हंगामे को लेकर विपक्षी दलों के सांसदों का नाम लिया। उन्होंने कहा, ''कई सदस्य जानबूझकर पीठ की अवहेलना कर रहे हैं। हाउस का कामकाज नहीं हो पा रहा है। इस कारण कई सांसदों को मौजूदा सत्र के लिए सदन से निलंबित किया जाता है।''

लोकसभा में तख्तियां लेकर हंगामा करने के कारण निलंबित होने वालों में अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, सौगत रॉय, प्रतिमा मंडल, ए. राजा, एनके प्रेमचंद्रन, दयानिधि मारन, अपूर्वा पोद्दार, प्रसून बनर्जी, मोहम्मद वसीर, जी सेलवम, सीएन अन्नादुरैय, डॉ टी सुमती, के नवासकानी, के वीरस्वामी, शताब्दी रॉय, असिथ कुमार मल, कौशलेंद्र कुमार, एनटो एंटनी, एसएस पलनामनिक्कम, तिरुवरुस्कर, प्रतिमा मंडल, काकोली घोष, के मुरलीधरन, सुनील कुमार मंडल, एस राम लिंगम, के सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, गौरव गोगोई और टीआर बालू शामिल हैं. वहीं इसके अलावा लोकसभा से के. जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया हैं।

राज्यसभा से निलंबित होने वाले 45 सांसदों में 34 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए और 11 सांसदो को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित कर दिया। पूरे सत्र के लिए निलंबित होने वालों में प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याज्ञिक, नारणभाई जे राठवा, सैयद नासिर हुसैन, फूलो देवी नेताम, शक्तिसिंह गोहिल, केसी वेणुगोपाल, रजनी पाटिल, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हैं। साथ ही सुखेन्दु शेखर रे, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांतनु सेन, मौसम नूर, प्रकाश चिक बड़ाइक, समीरुल इस्लाम, एम. शनमुगम, एन.आर. एलानगो, कनिमोझी, एनवीएन सोमू और आर गिरिराजन को भी निलंबित किए गया है। इसके अलावा निलंबित किए गए सदस्यों में मनोज कुमार झा, फैयाज अहमद, वी. शिवदासन, रामनाथ ठाकुर, अनिल प्रसाद हेगड़े, वंदना चव्हाण, रामगोपाल यादव, जावेद अली खान, महुआ माजी, जोस के. मणि और अजीत कुमार भुइयां शामिल हैं। वहीं विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित किए गए 11 सांसदों के नाम जेबी माथेर हिशाम, एल. हनुमंथैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी.सी. चन्द्रशेखर, बिनय विश्वम, संतोष कुमार पी, एम. मोहम्मद अब्दुल्ला, जॉन ब्रिटास और ए.ए. रहीम शामिल हैं।

संसद की सुरक्षा में चूक का मामला बुधवार (13 दिंसबर) को सामने आया था। इस दिन सागर शर्मा और मनोरंजन डी लोकसभा में सांसदों की बैठने वाली जगह पर दर्शक दीर्घा से कूद गए थे। दोनों ने इस दौरान केन के माध्यम से धुंआ फैला दिया था। इस दौरान ही परिसर में मौजूद अमोल शिंदे और नीलम ने प्रदर्शन करते हुए केन के जरिए धुंआ फैलाया था। इन चारों के अलावा इनके दो साथी ललित झा और महेश कुमावत पुलिस की गिरफ्त में हैं। पूरे मामले को लेकर शुरुआत से विपक्ष सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहा है।

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