नर्ई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सुप्रीम कोर्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को संवैधानिक मान्यता देने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह का कहना है कि मैं इसका स्वागत करता हूं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि जो कुछ भी हुआ वह संवैधानिक रूप से वैध है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करता हूं जल्द ही राज्य का दर्जा बहाल किया जाए।
उन्होंने कहा कि मैं तो कहूंगा कि पहले दर्जा मिले फिर चुनाव हों। कोर्ट ने सितंबर तक चुनाव की बात कही है जो सही है। काफी लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं। बहुत से लोगों को यह फैसला अच्छा नहीं लगेगा। मेरी उन्हें राय है कि इस फैसले को स्वीकार कर लें और अब अपनी ताकत चुनाव में लगाएं। इसे अब अच्छे ह्रदय से स्वीकार कर लेना चाहिए।
निराश हूं, लेकिन संघर्ष जारी रहेगा: उमर अब्दुल्ला
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट के फैसले से निराश हैं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हैं।
अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘निराश हूं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हूं। संघर्ष जारी रहेगा।’’ जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने में दशकों लगे और वे भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।
हमारी लड़ाई जारी रहेगी: महबूबा मुफ्ती
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के लोग न तो उम्मीद खोने वाले हैं और न ही हार मानने वाले हैं। सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए हमारी लड़ाई बिना किसी परवाह के जारी रहेगी। यह हमारे लिए रास्ते का अंत नहीं है।
फैसले से खुश नहीं जम्मू-कश्मीर के लोग: गुलाम नबी
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि हमारी आखिरी उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करे। तीन-चार महीने तक तक इस पर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। इसके बाद एक पूर्ण बहुमत से जो फैसला आया है, उससे जम्मू कश्मीर के लोग खुश नहीं हैं। मैं आज भी समझता हूं कि यह हमारे क्षेत्र के लिए 370 और 35 ए ऐतिहासिक चीज थी और हमारे जज्बात से जुड़ी थी।
उन्होंने कहा, जिस 35ए को महाराज हरि सिंह ने बनाया था, जब हमारा संविधान बना तो उसे शामिल किया गया था। लेकिन इसे भी खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। जमीने महंगी हो जाएंगी, पूरे हिंदुस्तान से लोग जम्मू कश्मीर आएंगे। हमारी सबसे बड़ी इंडस्ट्री पर्यटन और सरकारी नौकरी है, लेकिन अब पूरे देश के लोग इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं। इससे हमारे बच्चों के लिए बेरोजगारी बढ़ेगी। जब 370 लागू किया गया था, तो इन सब बातों को ध्यान रखा गया था। मैं यह नहीं कह सकता कि कोर्ट से भरोसा उठ गया, लेकिन एक उम्मीद थी जो खत्म हो गई।
370 हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा बना रहेगा: लोन
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई है। उन्होंने कहा है कि अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराशाजनक है। न्याय एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर रहा है। अनुच्छेद 370 भले ही कानूनी रूप से खत्म कर दिया गया हो, लेकिन यह हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के दर्जे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करने से भी परहेज किया। आशा करते हैं कि भविष्य में न्याय अपनी दिखावे की नींद से जागेगा।
अनुच्छेद 370 नामक सड़ी-गली बकवास खत्म हुई: सुब्रमण्यम स्वामी
बीजेपी नेता और पूर्व कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मुझे इस बात की खुशी है कि अनुच्छेद 370 नामक सड़ी-गली बकवास को आज सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है। यह बकवास पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को खुश करने के लिए डाली थी। संविधान सभा में प्रस्तावक गोपालस्वामी अयंगर के जरिए नेहरू इसे लेकर आए थे। बीआर अम्बेडकर ने प्रस्ताव लाने से इंकार कर दिया था।
केंद्र को चेन्नई, कोलकाता को केंद्रशासित बनाने से कोई नहीं रोक सकता: ओवैसी
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि 2019 में चीफ जस्टिस ने एक सेमिनार में कहा था कि सार्वजनिक विचार-विमर्श हमेशा उन लोगों के लिए खतरा रहेगा, जिन्होंने इसकी अनुपस्थिति में सत्ता हासिल की है। सवाल यह है कि क्या आप पूरे राज्य में कर्फ्यू लगाकर किसी राज्य की विशेष स्थिति को रद्द कर सकते हैं और वो भी निर्वाचित विधान सभा के बिना, जबकि यह अनुच्छेद 356 के अधीन है? 5 अगस्त को कश्मीर में विचार-विमर्श करने का अधिकार किसे था?
उन्होंने कहा कि मैंने इसे पहले भी कहा है और मैं इसे फिर से कहूंगा। एक बार इसे वैध कर दिया गया, तो केंद्र सरकार को चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से कोई नहीं रोक सकता। लद्दाख के मामले को देखें, यहां उपराज्यपाल द्वारा शासन किया जा रहा है, जिसका कोई लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व नहीं है।