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नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेताओं के साथ हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर समीक्षा बैठक की, जिसमें यह फैसला किया गया कि कमियों को दूर कर लोकसभा चुनाव में मजबूती से उतरना है। पार्टी मुख्यालय में इस समीक्षा बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी एवं महासचिव कुमारी सैलजा, वरिष्ठ नेता टी एस सिंह देव तथा कई अन्य नेता मौजूद थे।

लोकसभा चुनाव में मजबूती से उतरने पर जोर

बैठक के बाद कुमारी सैलजा ने कहा, ‘‘ये बात ज़रूर है कि हम चुनाव हारे, लेकिन साथ में मैं ये भी कहूंगी कि कोई भी सर्वे... चाहे राष्ट्रीय मीडिया का हो या क्षेत्रीय मीडिया का हो... कोई भी एजेंसी हो, हर एक ने ये कहा था कि छत्तीसगढ़ में हम चुनाव जीतने जा रहे हैं और शायद किसी हद तक आप सही साबित भी हुए, क्‍योंकि हमारा वोट प्रतिशत विशेष कम नहीं हुआ। यह कोई छोटी बात नहीं होती।’’

उन्होंने कहा कि पांच साल सरकार में रहने के बाद मत-प्रतिशत बरकरार रहना एक बहुत बड़ी बात होती है, बहुत बड़ी उपलब्धि होती है।

कुमारी सैलजा ने कहा, ‘‘हमारी भरोसे की सरकार रही, हमने लोगों का भरोसा भी जीता। चुनाव हम हारे, सरकार हम नहीं बना पाए। हम निराश तो हुए हैं, लेकिन हताश नहीं हुए। कारण कई हैं, उनकी हम विस्तृत समीक्षा कर रहे हैं। सभी साथियों ने मिलकर हमारे शीर्ष नेताओं को ये विश्‍वास दिलाया है कि बेशक हमारी सरकार नहीं बनी, लेकिन लोगों का विश्‍वास हमने खोया नहीं है और लोगों ने अभी भी हमारा साथ दिया है। आने वाले समय में लोकसभा का चुनाव आ रहा है, सभी साथियों ने विश्‍वास दिलाया है कि हम आगे मिलकर फिर से चुनाव लड़ेंगे।’’

सैलजा ने कहा कि जो कमियां रही हैं, उनको दूर कर नेता और कार्यकर्ता जनता के साथ विश्वास को मजबूत करें। उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह से कुछ क्षेत्रों में थोड़ी कमजोरी रही और किसी जगह हमको बहुत ज्‍यादा समर्थन मिला... किसान ने, ग़रीब ने हमारा साथ दिया है। अब हमारे नेतागण और कार्यकर्ता हर जगह, हर कोने में जाएंगे और फिर से लोगों का और ज्‍यादा विश्‍वास जीतेंगे और लोकसभा में हम ज्‍यादा से ज्‍यादा सीट जीतकर आएंगे।’’

हालिया चुनाव में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में 35 सीट पर जीत मिली है। भारतीय जनता पार्टी ने 54 सीट हासिल करके पांच साल बाद राज्य की सत्ता में वापसी की है।

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