नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने हैं। हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों यानि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है। जबकि तेलंगाना में केसीआर के हाथ से सत्ता फिसलकर कांग्रेस के हाथ में गई है। इसके साथ ही मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ज़ेडपीएम) सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरी है। अब इन सभी राज्यों में सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गयी है। जिसके लिए बैठकों और चर्चाओं का दौर चल रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले सबसे बड़ा सवाल ये है कि विधानसभा चुनाव हार गए 9 सांसदों का क्या होगा?
21 सांसदों में से 12 ने चुनाव में हासिल की जीत
बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मैदान में उतारा था। पार्टी ने 21 सांसदों को टिकट दिया था। इनमें से 12 चुनाव जीत गए, जबकि 9 सांसदों को हार का सामना करना पड़ा।नियम के अनुसार, 14 दिनों में इन्हें तय करना है कि वे सांसद रहेंगे या विधायक?
इस बीच बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान से जीते सभी चार सांसद संसद से इस्तीफा देंगे और विधायक बने रहेंगे। राजस्थान में बीजेपी ने किसी भी केंद्रीय मंत्री को चुनाव नहीं लड़वाया था।
मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में उतरे थे ये सांसद और केंद्रीय मंत्री
बीजेपी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में 7-7, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया। मध्य प्रदेश में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था। इनमें तोमर, पटेल, राकेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए। कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए हैं।
राजस्थान में इन सांसदों ने जीता चुनाव
वहीं, राजस्थान में राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार और भागीरथ चौधरी चुनाव में उतरे थे। राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को भी चुनावी मैदान में उतारा गया था। इनमें राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ और मीणा चुनाव जी गए।
छत्तीसगढ़ में सांसदों को दिया गया था टिकट
छत्तीसगढ़ में केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव और विजय बघेल ने चुनाव लड़ा। इनमें विजय बघेल चुनाव हार गए। वहीं, तेलंगाना में बीजेपी ने बंडी संजय, अरविंद धर्मपुरी और सोयम बापूराव को चुनाव मैदान में उतारा। ये तीनों चुनाव हार गए।
कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस समय विधायक भी हैं और सांसद भी। यही हाल प्रह्लाद पटेल का भी है। नियम के मुताबिक, 14 दिनों के भीतर उन्हें या तो संसद से या विधानसभा से इस्तीफा देना होगा। ऐसे सांसद जो मंत्री नहीं हैं, उनके लिए तो मामला आसान है। लोकसभा चुनाव अगले चार महीने में है। ऐसे में चार महीने की सांसदी के लिए पांच साल की विधायकी छोड़ने में कोई तुक नहीं। जब राज्य में अपनी ही सरकार बन रही है, तो क्या पता वहां मंत्री या फिर मुख्यमंत्री बनने का योग लग जाए।
क्या पार्टी फिर से लोकसभा का टिकट देगी?
राजस्थान चुनाव जीत चुके सांसदों का काम बीजेपी ने आसान कर दिया है। वे सभी संसद से इस्तीफा देंगे और विधायक बने रहेंगे। लेकिन कुछ सांसद पशोपेश में भी हैं। जैसे रीता बहुगुणा जोशी अच्छी भली यूपी सरकार में मंत्री थीं। पार्टी के कहने पर उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत गईं। रीता बहुगुणा सांसद तो बन गईं, लेकिन राज्य का मंत्री पद चला गया। अब बाकी 300 में से एक सांसद भर हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर के बारे में कहा गया कि वे कई दिनों तक प्रचार में ही नहीं गए। जाहिर है केंद्रीय मंत्री विधायक तभी बने रह सकते हैं, जब वे मुख्यमंत्री बन रहे हो। वरना केंद्र में मंत्री पद छोड़ राज्य में मंत्री बनने या केवल विधायक रहने में क्या तुक है। अगर ये केंद्रीय मंत्री विधायकी छोड़ते हैं, तो उनकी सीटों पर उपचुनाव कराना होगा।
हार गए सांसदों का क्या होगा?
एक सवाल उन सांसदों के बारे में है, जो चुनाव हार गए हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी हैं। जाहिर है कि इन 9 सांसदों की सांसदी तो बरकरार है। लेकिन साख पर बट्टा लग गया है। एक सांसद के नीचे औसतन पांच से छह विधायक होते हैं। अब जो सांसद विधायक नहीं बन पाया, क्या वो दोबारा सांसद बनेगा। क्या पार्टी दोबारा लोकसभा का टिकट देगी? इसके जवाब के लिए इंतजार करना होगा।
मध्य प्रदेश में सीएम के कितने दावेदार?
विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे बड़ी जीत मध्य प्रदेश में मिली है। 230 सीटों में से पार्टी को 163 सीटें मिली हैं। ये 2018 से 54 ज्यादा हैं। मध्य प्रदेश में बीजेपी का वोट शेयर 7.53% बढ़ा है। प्रचंड बहुमत मिलने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि प्रदेश अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? बीजेपी में इसी को लेकर विचार मंथन का दौर जारी है।
मध्य प्रदेश में सीएम पद के लिए शिवराज सिंह चौहान के अलावा और कई नाम हैं। जैसे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय।
मुख्यमंत्री चुनने को लेकर बीजेपी जल्द ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर सकती है। ये पर्यवेक्षक मध्य प्रदेश के विधायक दल की बैठक लेकर विधायक दल के नेता का चयन करेंगे। इसी बैठक के बाद तय हो जाएगा कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा।
राजस्थान में सीएम के लिए लंबी लिस्ट
राजस्थान में भी बीजेपी को बहुमत मिला है। यहां भी मुख्यमंत्री को लेकर विचार और मंथन चल रहा है। सीएम की रेस में कई नाम हैं। इसलिए जयपुर से दिल्ली तक हलचल बढ़ गई है। सीएम पद के प्रमुख दावेदारों में से एक वसुंधरा राजे ने चुनाव नतीजों के अगले दिन ही शक्ति प्रदर्शन शुरू कर दिया। वसुंधरा राजे ने अपने घर पर विधायकों के लिए डिनर रखा था। समर्थकों का दावा है कि डिनर में 47 विधायक आए।
राजस्थान में सीएम के लिए वसुंधरा राजे के अलावा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, सांसद बाबा बालकनाथ, सांसद दीया कुमारी, सांसद राज्य वर्धन सिंह राठौड़, सीपी जोशी, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, भूपेंद्र यादव, ओम माथुर, सुनील बंसल और यहां तक कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का नाम तक शामिल है।
छत्तीसगढ़ में सीएम के लिए रमन सिंह प्रमुख चेहरा
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के चयन को लेकर बीजेपी आलाकमान पर्यवेक्षक की घोषणा करेंगे. पर्यवेक्षक रायपुर आएंगे और 2-3 दिन में विधायक दल की बैठक होगी. इसमें ही CM के नाम की घोषणा होगी. छत्तीसगढ़ के सीएम की लिस्ट में डॉ. रमन सिंह का नाम सबसे ऊपर है. इसके अलावा अरुण साव, विष्णु देव साय, रेणुका सिंह, ओपी चौधरी के नामों की भी चर्चा है.
बीजेपी आलाकमान से मुलाकात का चला दौर
सोमवार को नई दिल्ली में तीनों राज्यों के सीएम चुनने और सरकार बनाने को लेकर मेल-मुलाकात का दौर चला। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सबसे पहले पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह से मिले। इसके बाद प्रल्हाद जोशी, सी पी जोशी और अरुण सिंह ने अमित शाह से मुलाकात की. फिर गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्य वर्धन सिंह राठौड़ और बाबा बालकनाथ ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की। प्रह्लाद पटेल और जेपी नड्डा की भी मुलाकात हुई।
तेलंगाना में किसकी होगी ताजपोशी?
अब तेलंगाना की बात करते हैं. तेलंगाना में कांग्रेस ने के चंद्रशेखर राव के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का सपना तोड़ते हुए बहुमत हासिल किया है। 119 में से 64 सीट जीत कर कांग्रेस स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री चुनने का फैसला आलाकमान पर छोड़ा गया। तेलंगाना में सीएम की रेस में 3 नाम सामने आ रहे हैं- रेवंत रेड्डी, भट्टी विक्रमार्क मल्लू, उत्तम कुमार रेड्डी।
पहले ऐसी खबरें थीं कि आज ही विधायक दल का नेता चुनकर सीएम और डिप्टी सीएम का शपथ ग्रहण हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं... क्योंकि मुख्यमंत्री के नाम पर आम सहमति नहीं बन पाई। अब कांग्रेस के पर्यवेक्षक मंगलवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलेंगे। इसके बाद ही कोई फैसला होगा।