नई दिल्ली: भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर हिंदी भाषी राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। विधानसभा चुनावों के नतीजों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को और मजबूती देने वाला और 2024 के लोकसभा चुनावों का माहौल तैयार करने वाला माना जा रहा है। हालांकि, कांग्रेस ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। कांग्रेस का मानना है कि विधानसभा चुनाव में उन्हें हार जरूर मिली है, लेकिन जनता का साथ उनसे छूटा नहीं है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "यह सच है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। नतीजे हमारी उम्मीदों के मुताबिक़ नहीं आए हैं। लेकिन वोट शेयर के मामले में कांग्रेस भाजपा से ज़्यादा दूर नहीं है। दरअसल, इस अंतर को मिटाया जा सकता है। ये आंकड़े वापसी के लिए आशा और उम्मीद जगाते हैं।"
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के वोट प्रतिशत में कितना अंतर रहा।
इससे पहले जयराम रमेश ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की हार के बाद रविवार को कहा कि वर्ष 2003 में भी उनके दल को इसी तरह हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में वह केंद्र में सरकार बनाने में सफल रही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विश्वास, धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी करेगी।
जयराम रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "ठीक 20 साल पहले भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। उस वक्त हमें सिर्फ़ दिल्ली में जीत मिली थी। लेकिन कुछ ही महीनों में ज़ोरदार ढंग से वापसी करते हुए कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और केंद्र में सरकार बनाई।" उन्होंने कहा, "आशा, विश्वास, धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तैयारी करेगी। जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया!"