नई दिल्ली: अंतर राज्यीय परिषद की बैठक आज दिल्ली में हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्यों एवं केंद्र के निकट समन्वय के साथ काम करने से ही विकास हो सकता है। इस बैठक में आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक योजना और अंतरराज्यीय संबंधों समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। 10 साल के अंतराल के बाद आयोजित अंतर-राज्यीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि राष्ट्र तभी प्रगति कर सकता है जब केंद्र और राज्य सरकारें कंधे से कंधा मिलाकर चलें। उन्होंने कहा, ‘किसी भी सरकार के लिए किसी योजना को खुद से क्रियान्वित करना मुश्किल होगा। इसलिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों का प्रावधान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि क्रियान्वयन की जिम्मेदारी।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे कुछ ही अवसर होते हैं जब केंद्र और राज्यों के नेतृत्व एकत्र होते हैं। पीएम मोदी ने कहा, ‘सहयोगात्मक संघवाद का यह फोरम लोगों के हितों, उनकी समस्याओं के समाधान और सामूहिक तथा ठोस फैसले लेने के बारे में विचारविमर्श का बेहतरीन मंच है। यह हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि को दिखाता है।’ मोदी ने कहा कि अंतरराज्यीय परिषद एक अंतर सरकारी फोरम है जिसे नीति तैयार करने और इसका क्रियान्वयन सुनिश्चत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘जितना हम इन विषयों पर सर्वसम्मति बनाने में सफल होंगे, उतना ही मुश्किलों को पार करना आसान होगा। इस प्रक्रिया में हम न सिर्फ सहयोगात्मक संघवाद की भावना को मजबूत करेंगे, बल्कि केंद्र और राज्यों के संबंधों को भी मजबूत करेंगे तथा अपने नागरिकों का बेहतर भविष्य भी सुनिश्चित करेंगे।’
अंतरराज्यीय परिषद केंद्र-राज्य और अंतर-राज्य संबंधों को मजबूत करने का सबसे महत्वपूर्ण मंच है। हालांकि 2006 के बाद लंबे अंतराल तक यह बैठक नहीं हो पाई। प्रधानमंत्री ने राज्यों से कहा कि वे लोकतंत्र, समाज और राज्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस मंच का इस्तेमाल एक प्रभावी औजार के रूप में करें। उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय परिषद बुहत ही खुले माहौल में बहुत स्पष्ट होकर विचारों के आदान-प्रदान का मौका देती है। मोदी ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि आप एजेंडे के सभी विषयों पर खुलकर अपनी राय देंगे, अपने सुझाव देंगे। आपके सुझाव बहुत मूल्यवान होंगे।’ प्रधानमंत्री ने राज्यों और केंद्रों के बीच वार्ता की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह के प्रयासों की सराहना की और कहा कि पिछले एक साल में वह देशभर की पांच आंचलिक परिषदों की बैठक बुला चुके हैं। इस दौरान संपर्क और संवाद बढ़ने का ही नतीजा है कि आज हम सभी यहां एकत्र हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार किए जाने के साथ ही केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है। यानी कि राज्यों के पास अब ज्यादा राशि आ रही है जिसका उपयोग वे अपनी जरूरतों के हिसाब से कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि 2015-16 में केंद्र से राज्यों को मिली कुल राशि 2014-15 में मिली कुल राशि से 21 प्रतिशत अधिक है।’’ मोदी ने कहा कि पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों को 14वें वित्त आयोग की अवधि में 2,87,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो पिछली बार के मुकाबले काफी अधिक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यों के अधिकारों को ध्यान में रखा गया है, यहां तक कि प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी से मिले राजस्व में भी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोयला ब्लाकों की नीलामी से राज्यों को आगामी वर्षों में 3.35 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। अन्य खदानों की नीलामी से राज्यों को 18 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह कैम्पा कानून के जरिए केंद्र सरकार बैंक में रखे 40 हजार करोड़ रुपये को भी राज्यों को देने का प्रयास कर रही है। मोदी ने कहा कि प्रणाली में पारदर्शिता के जरिए जो रकम बच रही है, उसे भी केंद्र सरकार आपके साथ साझा करना चाहती है। उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय परिषद में चर्चा का एक और महत्वपूर्ण विषय शिक्षा का है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारे नौजवान ही हैं। 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे अभी स्कूल जाने वाली उम्र में हैं, इसलिए देश के पास आने वाले कई वषरें तक दुनिया को दक्ष श्रमशक्ति देने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘केंद्र और राज्यों को बच्चों को शिक्षा का ऐसा माहौल देना होगा जिसमें वे आज की जरूरत के हिसाब से खुद को तैयार कर सकें, अपने हुनर का विकास कर सकें।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों में शिक्षा का स्तर सुधारने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग यह है कि उन्हें शिक्षा के उद्देश्य के प्रति जागरूक बनाया जाए। उन्होंने कहा, ‘सिर्फ स्कूल जाना ही पढ़ाई नहीं है, पढ़ाई ऐसी होनी चाहिए, जो बच्चों को सवाल पूछना सिखाए, उन्हें ज्ञान हसिल करना और ज्ञान बढ़ाना सिखाए जो जीवन के हर मोड़ पर उन्हें कुछ न कुछ सीखते रहने के लिए प्रेरित करे ।’’ मोदी ने कहा, ‘‘21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में जिस तरह की कुशलता और योग्यता की आवश्यकता है, उसमें हम सभी का दायित्व है कि नौजवानों के पास कोई न कोई कौशल जरूर हो। हमें नौजवानों को ऐसा बनाना होगा कि वे तर्क के साथ सोचें, लीक से हटकर सोचें और अपने काम में रचनात्मक दिखें।’ आधार कार्ड का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि संसद से आधार कानून 2016 पारित हो चुका है । इस एक्ट के पारित होने के बाद अब हमें चाहे सब्सिडी हो या तमाम दूसरी सुविधाएं, प्रत्यक्ष नकद अंतरण के लिए आधार के इस्तेमाल की सुविधा मिल गई है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘128 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में अब तक 102 करोड़ लोगों को आधार कार्ड बांटे जा चुके हैं। अब हमारे 79 प्रतिशत लोगों के पास आधार कार्ड हैं। अगर वयस्कों की बात करें तो 96 प्रतिशत लोगों के पास आधार कार्ड हैं। आपके सहयोग से, इस साल के अंत तक हम देश के प्रत्येक नागरिक को आधार कार्ड से जोड़ देंगे।’ मोदी ने कहा कि चंडीगढ़ को हाल में केरोसिन मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया है और अब केंद्र सरकार ने एक योजना शुरू की है जिसके तहत यदि कोई राज्य केरोसिन की खपत में कमी लाता है तो केंद्र सब्सिडी के रूप में खर्च किए जाने वाले पैसे का 75 प्रतिशत हिस्सा राज्य को अनुदान के रूप में देगा। उन्होंने इस पहल पर तेजी से आगे बढ़ने और अपना प्रस्ताव पेट्रोलियम मंत्रालय को भेजने के लिए कांग्रेस नीत कर्नाटक सरकार की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसे स्वीकार कर लिया गया है और अनुदान राज्य सरकार को भेज दिया गया है। यदि सभी राज्य केरोसिन की खपत 25 प्रतिशत कम करने का फैसला करते हैं और असल में ऐसा करते हैं तो उन्हें इस साल अनुदान के रूप में 1600 करोड़ रूपये मिल सकते हैं।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों से खुफिया सूचना साझा करने को कहा जिससे देश को आंतरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से लड़ने में ‘चौकन्ना’ तथा अद्यतन रहने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि ‘हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि हमारी आंतरिक सुरक्षा के समक्ष खड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हम अपने देश को किस तरह तैयार कर सकते हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा तब तक मजबूत नहीं की जा सकती जब तक कि राज्य और केंद्र खुफिया सूचना साझा करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते। उन्होंने कहा, ‘हमें हमेशा चौकन्ना तथा अद्यतन रहना होगा।’ सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल तथा 17 केंद्रीय मंत्री अंतर-राज्यीय परिषद के सदस्य हैं। दो साल पहले प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद मोदी पहली बार, एक ही मंच पर सभी मुख्यमंत्रियों से चर्चा कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि परिषद की बैठक में आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों और इस बारे में चर्चा होगी कि उनसे कैसे लड़ा जाए और राज्य तथा केंद्र किस तरह सहयोग कर सकते हैं। मोदी ने कहा, ‘घनिष्ठ सहयोग से, हम न सिर्फ केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूत करेंगे, बल्कि नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य भी बनाएंगे।’ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (सपा) और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (कांग्रेस) ने बैठक में भाग नहीं लिया। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (पीडीपी) भी बैठक में शामिल नहीं हुईं। जम्मू कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन के शीर्ष आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।