नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज (बुधवार) कहा कि अरूणाचल प्रदेश में नबाम तुकी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा और साथ ही इस बात पर भी गौर किया जाएगा कि वहां नई सरकार विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद शासन कर रही है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया ब्रीफिंग में ढेरों सवालों का जवाब देते हुए यह भी कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला सर्वोच्च है और सरकार उसके प्रभावों का अध्ययन कर रही है। पिछले ही हफ्ते कानून मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले प्रसाद ने कहा कि सरकार इस आदेश का विस्तृत परीक्षण करेगी और उसके बाद हम कोई निर्णय कर सकते हैं। अरूणाचल प्रदेश में तुकी सरकार की बर्खास्तगी को ‘असंवैधानिक’ करार देने संबंधी उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐसे वक्त आया है जब महज दो महीने पहले उसने उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार बहाल की थी। जब प्रसाद से पूछा गया कि क्या सरकार इस फैसले की समीक्षा के लिए शीर्ष अदालत जाएगी, उन्होंने कहा, ‘हमें पूरे दिशा निर्देश की बहुत ही विस्तृत समीक्षा करनी होगी और उसके बाद ही हम कुछ तय कर सकते हैं।’ प्रसाद ने कहा कि सरकार को अभी आदेश की प्रति नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘मीडिया की खबरों के अनुसार, मैंने देखा है कि उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर, 2015 से पहले की यथास्थिति बहाल करने का आदेश दिया है। निरापद रूप से मेरे स्मरण में यह विचार आ सकता है कि दिसंबर के बाद कई घटनाएं हुईं, जैसे राष्ट्रपति शासन हटाया गया, नयी सरकार ने शपथ ली और नयी सरकार ने सदन के पटल पर बहुमत साबित किया।’
कानून मंत्री ने कहा, ‘इन चीजों के आलोक में, उच्चतम न्यायालय के निर्देश के संदर्भ में क्या करने की जरूरत है- यह सर्वोपरि है और उसपर विस्तृत विचार विमर्श की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘हम फैसले का विस्तार से अध्ययन करेंगे और उसके प्रभावों पर भी गौर फरमायेंगे। निश्चित ही, उच्चतम न्यायालय का फैसला सर्वोच्च है।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार ने उत्तराखंड प्रकरण से कोई सीख नहीं ली तो प्रसाद ने कहा कि उत्तराखंड का मुद्दा आने से बहुत पहले ही अरूणाचल प्रदेश का मामला संविधान पीठ के सामने लंबित था। इस सवाल पर कि क्या यह सरकार की ओर से कानून प्रबंधन की विफलता है, प्रसाद ने तपाक से कहा, ‘मैं कानून प्रबंधन पर आपकी टिप्पणी से बिल्कुल असहमत हूं। उच्चतम न्यायालय पूर्णरूप से स्वतंत्र है।’ इस मुद्दे पर राजग सरकार की कांग्रेस द्वारा आलोचना करने पर उन्होंने कहा कि इस दल को ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले अपने अतीत पर नजर डालना चाहिए। इससे पहले दिन में उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल के उन सभी फैसलों को खारिज करते हुए कांग्रेस सरकार की बहाली का आदेश दिया जिनसे जनवरी में कांग्रेस सरकार गिर गयी थी। शीर्ष अदालत ने राज्यपाल के फैसलों को संविधान का उल्लंघन बताया। पांच न्यायाधीशों की पीठ के ऐतिहासिक सर्वसम्मत फैसले ने अन्य बातों के साथ साथ राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के उन आदेशों को खारिज कर दिया जिनमें सत्र निर्धारित समय से पहले आहूत कर देना, और 14 जनवरी, 2016 के स्थान पर 16-18 दिसंबर, 2015 पर बुलाये गए विधानसभा के छठे सत्र की कार्यवाही के तौर तरीके शामिल हैं। न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने अरूणाचल प्रदेश विधानसभा में 15 दिसंबर, 2016 से पहले की यथास्थिति बहाल करने का आदेश दिया। अरूणाचल प्रदेश में कांग्रेस में बगावत फूटने के बाद जनवरी में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।