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नई दिल्ली/अलीगढ़: विवादास्पद उपदेशक जाकिर नाइक द्वारा संचालित एनजीओ की विदेशी फंडिंग के मामले में की गई प्रारंभिक जांच से पता चला है कि अधिकांश राशि ब्रिटेन, सऊदी अरब और कुछ पश्चिम एशियाई देशों से आई। एनजीओ को 2012 से पहले पांच साल की अवधि में कथित तौर पर करीब 15 करोड़ रुपये मिले थे। इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) द्वारा धनराशि को राजनीतिक गतिविधियों और लोगों को कट्टरपंथी विचारों के प्रति प्रेरित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने के आरोपों के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय की जांच जहां जारी है, वहीं कुछ मुस्लिम विद्वानों और धार्मिक विद्वानों ने आज सरकार से कहा कि वह नाइक के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के संबंध में ‘एहतियात बरते।’ ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) ने विवाद को नाइक का ‘मीडिया ट्रायल’ बताते हुए इसकी निन्दा की। नाइक के खिलाफ वर्तमान में कई जांच चल रही हैं जिनके भाषणों ने ढाका हमले में शामिल कुछ हमलावरों को कथित तौर पर प्रेरित किया। PM मोदी ने जाकिर नाइक पर साधा निशाना, कहा-नफरत की बात करने वाले समाज के लिए खतरा और पढ़ें PM मोदी ने जाकिर नाइक पर साधा निशाना, कहा-नफरत की बात करने वाले समाज के लिए खतरा गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नयी दिल्ली में कहा कि आईआरएफ के खिलाफ जांच जारी है जिसका पंजीकरण विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत हुआ था। यह पाया गया है कि इसका अधिकांश विदेशी धन ब्रिटेन, सऊदी अरब और पश्चिम एशिया के कुछ देशों से आया।

अधिकारी ने बताया कि आईआरएफ को 2012 से पहले पांच साल के दौरान करीब 15 करोड़ रुपये मिले थे।

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