नैरोबी: दुनिया में आईएसआईएस के पांव पसारने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को चेताया कि ‘घृणा और हिंसा की बात करने’ वाले हमारे समाज के तानेबाने के समक्ष खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं से कट्टरपंथी विचारधारा के जवाब में एक अवधारणा तैयार करने को कहा। प्रधानमंत्री ने परोक्ष रूप में पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो लोग आतंकवादियों को शरण देते हैं और उनका राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं, उनकी निंदा करनी चाहिए। नौरोबी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने घृणा और आतंक मुक्त विश्व की वकालत की और कहा कि आर्थिक विकास के लाभ का फायदा उठाने के लिए लोगों और समाज की सुरक्षा जरूरी है। मोदी ने कहा, ‘घृणा और हिंसा की बात करने वाले हमारे समाज के तानेबाने के समक्ष खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।’ कट्टरपंथ का मुकाबला करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘कट्टरपंथी विचारधारा का मुकाबला करने के लिये युवा एक जवाबी अवधारणा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’ प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में महत्वपूर्ण मानी जा रही है जब आतंकी संगठन आईएसआईएस कई स्थानों पर पांव पसार रहा है, विशेषतौर पर कट्टरपंथ के अपने अभियान के जरिये युवाओं को आकषिर्त कर रहा है। हाल ही में बांग्लादेश में एक कैफे पर छह पढे लिखे युवकों के हमले में 22 लोग मारे गए थे जिसमें से अधिकांश विदेशी थे।
छह हमलावर कथित तौर पर विवादास्पद मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक से प्रभावित थे जो एक टीवी चैनल पर प्रवचन देता था। ऐसी भी आशंकाएं हैं कि भारत के कुछ युवा आईएसआईएस के झांसे में आ रहे हैं और केरल में 15 युवाओं के संदिग्ध परिस्थितियों में लापता होने की खबर महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने की ओर बढ़ना हमारी प्राथमिकता है। लेकिन हम हमारे लोगों की सुरक्षा को नजरंदाज नहीं कर सकते।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें उन लोगों की समान रूप से निंदा करनी चाहिए जो आतंकवादियों को शरण देते हैं और उनका राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।’ प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी को पाकिस्तान के संदर्भ में देखा जा रहा है जहां से भारत विरोधी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे संगठन सक्रिय हैं और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के समर्थन से भारत पर हमले करते हैं। मोदी ने जोर दिया, ‘आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती, कोई धर्म नहीं होता, कोई नस्ल नहीं होती और कोई मूल्य नहीं होता।’ नौवहन सुरक्षा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समुद्र से आने वाले खतरों के खिलाफ सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि जल दस्युओं से नौवहन क्षेत्र की गतिविधियां प्रभावित नहीं हों और नौवहन की स्वतंत्रता सभी के लिए उपलब्ध हो।