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पीटरमारित्जबर्ग : इतिहास के पन्नों में झांकने की कोशिश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को यहां उस स्टेशन पर गए जहां महात्मा गांधी को ट्रेन से बाहर धकेल दिया गया था और यही उनके जीवन में एक मील का पत्थर साबित हुआ था। मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में गांधी की ट्रेन यात्रा को याद करने का प्रयास किया। दक्षिण अफ्रीका की अपनी यात्रा के दूसरे दिन मोदी नस्लीय भेदभाव के खिलाफ महात्मा गांधी के संघर्ष को श्रद्धांजलि देने के लिए पेंट्रिक में एक ट्रेन पर सवार होकर पीटरमारित्जबर्ग गए। वर्ष 1893 में सात जून को जब गांधीजी डरबन से प्रीटोरिया जा रहे थे जब एक श्वेत ने प्रथम श्रेणी के डिब्बे में उनके चढ़ने पर आपत्ति की और उन्हें तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने को कहा गया। गांधी के पास प्रथम श्रेणी का वैध टिकट था और उन्होंने तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इनकार कर दिया। उसके बाद भयंकर सर्दी में पीटरमारित्ज स्टेशन पर उन्हें ट्रेन से बाहर धकेल दिया गया। वह रातभर भयंकर ठंड में स्टेशन पर रूके रहे। इस कटु घटना ने दक्षिण अफ्रीका में ठहरकर वहां भारतीयों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव के विरूद्ध संघर्ष करने के गांधी के निर्णय में अहम भूमिका निभायी। प्रधानमंत्री उस जगह गए जहां गांधीजी को उतार दिया गया था। मोदी फोनिक्स बस्ती भी जायेंगे जिसका गांधी से नजदीकी संबंध रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री ने पेंट्रिक रेलवे स्टेशन से पीटरमारित्जबर्ग तक की यात्रा की। गांधीजी ने जिस ट्रेन में यात्रा की थी, उसी से मिलती जुलती ट्रेन थी।

’ दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ वार्ता के बाद प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को गांधी और नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। मोदी ने कहा था, ‘व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए, यह यात्रा धरती पर अवतरित होने वाले दो महान आत्माओं महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेल को श्रद्धांजलि देने का एक मौका है।’ उन्होंने कहा था, ‘हम नस्लीय दमन और उपनिवेशवाद के खिलाफ अपनी साझे संघर्ष में साथ रहे। यह दक्षिण अफ्रीका ही था जहां गांधी को सही उद्यम मिला। वह जितना भारत के थे, उतना ही दक्षिण अफ्रीका के।’

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