नई दिल्ली: पिछले दिनों ढाका में हुए आतंकवादी हमले में शामिल पांच बांग्लादेशी आतंकवादियों में से एक के विवादित भारतीय इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के ‘नफरत भरे उपदेशों’ से प्रेरित होने की खबरें सामने आने के बाद सरकार नाइक के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। इस बीच शिवसेना ने नाइक की संस्था पर पाबंदी लगाने की मांग की है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने दिल्ली में पत्रकारों को बताया, ‘जाकिर नाइक का भाषण हमारे लिए चिंता का विषय है। हमारी एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं। लेकिन एक मंत्री के तौर पर मैं यह टिप्पणी नहीं करूंगा कि क्या कार्रवाई की जाएगी।’ नए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू से जब नाइक के उपदेशों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हमारे पास इन सारे पहलुओं के अध्ययन का समय है।’ रिजीजू ने कहा कि भारत के बांग्लादेश के साथ अच्छे संबंध और परस्पर समझ है। खासकर आतंकवाद से मुकाबला करने में सहयोग के बाबत। उन्होंने कहा, ‘करीबी तालमेल और साथ मिलकर इसके खिलाफ लड़कर ही आतंकवाद को मात दी जा सकती है।’ बांग्लादेशी अखबार ‘डेली स्टार’ ने खबर दी थी कि अवामी लीग के एक नेता का बेटा और आतंकवादी रोहन इम्तियाज पिछले साल फेसबुक पर नाइक का हवाला देते हुए दुष्प्रचार करता था। नाइक ने अंतरराष्ट्रीय इस्लामी चैनल ‘पीस टीवी’ पर एक व्याख्यान में कथित तौर पर सभी मुस्लिमों से आतंकवादी बन जाने की अपील की थी। जाकिर नाइक एक लोकप्रिय लेकिन विवादित उपदेशक हैं।
मुंबई के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक नाइक पर अन्य धर्मों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले उपदेश देने को लेकर ब्रिटेन और कनाडा में पाबंदी लगी हुई है। वह उन 16 इस्लामी विद्वानों में से एक हैं जिनके खिलाफ मलेशिया में भी पाबंदी लगी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, वह बांग्लादेश में अपने ‘पीस टीवी’ के जरिए काफी मशहूर हैं। हालांकि, उनके कई उपदेश में अक्सर अन्य धर्मों और यहां तक कि अन्य इस्लामी पंथों को भी नीचा दिखाया जाता है। शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर देशहित में नाइक और इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर पाबंदी लगाने की मांग की है। सावंत ने इस पत्र में कहा, ‘देश की एकता के खिलाफ हिंसा फैलाने वाली भाषा बोलने वालों पर पाबंदी लगानी चाहिए। इस्लाम प्रेम एवं शांति सिखाता है। लेकिन अब हर रोज हाई अलर्ट वाला दिन रहता है। मैं गृह मंत्री से अपील करता हूं कि कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।’ सावंत ने कहा, ‘देश में नौजवान आईएसआईएस में कैसे शामिल होते हैं? तो हो सकता है कि हम कहीं नाकाम हो रहे हों। हमें हालात की गंभीरता को समझना चाहिए। कट्टरपंथी मन अब कोई भी कदम उठा सकता है। इस्लाम के नाम पर वे ऐसे लोगों को मौत के घाट उतार रहे हैं जो आयतें नहीं सुना पा रहे ।’ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के प्रबंधक मंसूर शेख ने इस बात से इनकार किया कि नाइक ने अपने उपदेशों में कभी आतंकवाद का समर्थन किया है। पिछले दिनों बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक मशहूर रेस्तरां पर हमला कर इस्लामी बंदूकधारियों ने 22 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था जिसमें ज्यादातर विदेशी थे। नाइक ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस्लाम और आतंक पर उनके उपदेश को संदर्भ से हटकर देखा गया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि मुस्लिमों को असामाजिक तत्वों को आतंकित करना चाहिए। उन्होंने न्यूज चैनलों से बातचीत में कहा कि किसी भी मुस्लिम को किसी शख्स को आतंकित नहीं करना चाहिए। विवादित इस्लामी उपदेशक ने यह दावा भी किया कि उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के सलाहकार से बात की थी और उन्हें बताया था कि अधिकारी इस बात से सहमत नहीं हैं कि उनके उपदेशों से हमलावरों के मन में कट्टरपंथी भावनाएं पैदा हुई थीं। बहरहाल, बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन-उल-हक ने कहा कि भारतीय उपदेशक को कोई ‘क्लीन चिट’ नहीं दी गई है। नाइक ने कहा कि यह सब जानते हैं कि हमलावर उनके मुरीद थे, लेकिन ये भी सच है कि ज्यादातर बांग्लादेशी उनके मुरीद हैं। नाइक ने कहा, ‘इसका यह मतलब नहीं है कि मैंने उन्हें प्रेरित किया है। मैंने उन्हें इस्लाम के करीब आने के लिए प्रेरित किया है। लेकिन यह कहना सरासर गलत है कि मैंने उन्हें निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए प्रेरित किया।’