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नई दिल्ली: कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने लॉ कमीशन के चेयरमैन को चिट्ठी लिखकर सामान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के तरीकों पर सलाह मांगी है। मोदी सरकार के कानून मंत्रालय के इस कदम को यूपी चुनावों से ठीक पहले सोच-समझ कर उठाया गया कदम माना जा रहा है। गौड़ा के मुताबिक बीजेपी और मोदी सरकार दोनों के एजेंडे में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड हमेशा से ही शामिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब हम सरकार में है और हमने लॉ कमीशन से यही जानने के लिए सलाह मांगी है कि इसे लागू करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। क्या है यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का अर्थ भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक कानून से है। सामान्य अर्थों में समान नागरिक संहिता एक सेक्युलर (पंथनिरपेक्ष) कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। समान नागरिक कानून से अभिप्राय कानूनों के वैसे समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है। यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है। ऐसे कानून विश्व के अधिकतर आधुनिक देशों में लागू हैं।

हालांकि भारत में पर्सनल लॉ बोर्ड्स इसका हमेशा से विरोध करते रहे हैं।

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