नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने बयानों से पार्टी और सरकार को असहज करने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी पर चुप्पी तोड़ी। स्वामी को 'चुप'रहने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि किसी को भी पार्टी लाइन नहीं तोड़नी चाहिए क्योंकि कोई भी पार्टी से बड़ा नहीं हो सकता है। प्रधानमंत्री ने पार्टी के राज्यसभा सांसद स्वामी के हालिया बयानों को अनुचित करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर कोई खुद को व्यवस्था से ऊपर समझता है तो यह गलत है। चाहे ये मेरी पार्टी में हो या नहीं, मेरा मानना है कि ये चीजें अनुचित हैं। प्रचार पाने की इस लालसा से कभी देश का भला नहीं होगा। लोगों को बहुत जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करना चाहिए। साथ ही उन्होंने अपने इलाहाबाद में दिए गए बयान को भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा था कि वे अपने बोल और व्यवहार में संतुलन एवं संयम रखें। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने हाल ही में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत वित्त मंत्रालय के कई अधिकारियों पर निशाना साधा। स्वामी ने राजन को दोबारा कार्यकाल नहीं देने और अमेरिका वापस भेजने को कहा था। साथ ही केंद्र के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम के देशभक्त नहीं होने की भी बात कही थी। प्रधानमंत्री ने आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की तारीफ की। उन्होंने कहा कि राजन की देशभक्ति किसी से कम नहीं है। वह भारत से प्रेम करते हैं। वह जहां भी रहेंगे, वहां वह भारत के लिए काम करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके साथ मेरा अनुभव अच्छा रहा है जो लोग उनको लेकर विवाद खड़ा कर रहे हैं, वह उनके साथ अन्याय कर रहे हैं। राजन के कार्यकाल से जुड़ी चिंताओं पर उन्होंने कहा कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को लेकर भारत को हर पल सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि उनका लाहौर जाना, वहां के पीएम को यहां बुलाना इन कदमों की विश्व में एक स्वर से सराहना हो रही है। आतंकवाद पर पाकिस्तान को दुनिया में जवाब देने में मुश्किल हो रही है। इस पड़ोसी देश के साथ संबंधों को सुधारते समय लक्ष्मण रेखा तय करने पर पीएम ने कहा कि क्या यह लक्ष्मण रेखा किसी निर्वाचित सरकार के साथ खींची जाए या किसी अन्य के साथ। एनएसजी सदस्यता को लेकर चीन के विरोध पर मोदी ने कहा कि कुछ विषय में हमारे और उनके बीच मतभेद हैं लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि हम आंख से आंख मिलाकर भारत के हितों की बात डंके की चोट पर कहते हैं। इसमें हम जरा भी कोताही नहीं बरतते हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने चीन दौरे में एक दिन की कटौती कर रविवार रात स्वदेश लौट आए। दौरे में कटौती का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है लेकिन ऐसी अटकलें हैं कि वह सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयानों से नाखुश हैं और चाहते हैं कि पार्टी उन पर लगाम लगाए।