सोल: चीन के नेतृत्व में विरोध के सामने भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के प्रयास नाकाम हो गये। इसके बाद भारत ने बीजिंग द्वारा पैदा बाधाओं पर नाखुशी जताई। एनएसजी में शामिल होने के भारत के प्रयासों को उस समय तगड़ा झटका लगा जब दोदिवसीय एनएसजी पूर्ण सत्र भारत के सदस्यता के आवेदन को स्वीकार नहीं करने के फैसले के साथ यहां समाप्त हो गया। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत के प्रयासों का खुलकर विरोध कर रहा चीन भारत के मामले को असरदार बहुमत के समर्थन के बावजूद भारत की दावेदारी को विफल करने में सफल रहा। 38 देशों ने भारत का समर्थन किया। बीजिंग अपने रुख पर कायम रहा जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ताशकंद में एक बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से गुणदोष के आधार पर भारत के पक्ष का समर्थन करने का अनुरोध किया था। बाद में, निराश भारत ने आरोप लगाया कि इसके आवेदन पर चर्चा के दौरान एक देश ने लगातार प्रक्रियागत बाधाएं उत्पन्न कीं। भारत का इशारा स्पष्ट रूप से चीन के विरोध की तरफ था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा ‘हम समझते हैं कि एक देश द्वारा लगातार प्रक्रियागत बाधा उत्पन्न करने के बावजूद एनएसजी में भविष्य में भागीदारी को लेकर कल रात तीन घंटे तक चर्चा हुई।’ उन्होंने कहा, ‘सोल में एनएसजी की बैठक में भारत को तुरंत समूह की सदस्यता देने से इंकार कर दिया गया और कहा गया कि जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत नहीं किया है उनकी भागीदारी पर चर्चा जारी रहेगी।’ उन्होंने कहा, ‘काफी संख्या में सदस्य देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया है और भारत के आवेदन पर सकारात्मक जवाब दिया। हम उन सबको को धन्यवाद देते हैं।
हम यह भी मानते हैं कि व्यापक समझ यह बनी कि मामले को आगे ले जाया जाए।’ चीन के अलावा ब्राजील, स्विट्जरलैंड, तुर्की, आस्ट्रिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड ने भी भारत की सदस्यता का विरोध किया क्योंकि उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। अपनी दो दिवसीय बैठक की समाप्ति पर एनएसजी ने बयान में ‘परमाणु अप्रसार संधि ’ को अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताते हुए इसके ‘पूर्ण और प्रभावी’ क्रियान्वयन के प्रति अपना ‘पूर्ण समर्थन’ घोषित किया। एक बयान में हालांकि कहा गया है कि वह उन देशों की भागीदारी पर विचार करना जारी रखेगा जिन्होंने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। दो दिवसीय बैठक के दौरान भारत के आवेदन पर विचार-विमर्श की पुष्टि करते हुए बयान में कहा गया है कि समूह ने भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग संबंधी बयान 2008 के सभी पहलुओं पर सूचना को साझा किया तथा भारत के साथ एनएसजी के रिश्तों पर विचार-विमर्श किया। एनएसजी में भारत जैसे गैर एनपीटी सदस्यों के प्रवेश के विरोध का बचाव करते हुए चीन ने कहा कि उसका रुख 48 देशों के समूह के नियमों के अनुसार है, जो किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं हैं। चीन ने एनएसजी में गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के मुद्दे पर आम सहमति के लिए ‘सामान्य से हटकर’ सोच की वकालत की। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘चीन दो चीजें चाहता है, हमें एनएसजी के नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि इस तरह के नियम किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं है। हमें सामान्य से हटकर सोचकर आमसहमति के लिए मेहनत करनी चाहिए।’