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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): ईपीएफ पर चौतरफा दबाव के बाद केंद्र सरकार ने प्रस्तावित ईपीएफ टैक्स को वापस ले लिया है। संसद में आज (मंगलवार) वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ईपीएफ के 60 प्रतिशत हिस्से पर लगाए जाने वाले टैक्स के प्रावधान को फिलहाल वापस ले रही है। गौरतलब है कि बजट में बजट में ईपीएफ पर टैक्स का ऐलान हुआ था। इस बदलाव से देश के करीब छह करोड़ वेतनभोगी प्रभावित होते। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस मामले पर दोबारा विचार करने को कहा था। ऐसे में कयास लगाए ही जा रहे थे कि जेटली आज संसद में यह प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा कर सकते हैं। सोमवार को कांग्रेस ने सरकार के फ़ैसले के विरोध में जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी किया था। इस पूरे मामले पर काफी हो हल्ला मचा हुआ था। ईपीएफ टैक्स के खिलाफ एक लाख से ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर भी किए थे। इस टैक्स को खत्म करवाने के लिए सोशल मीडिया पर भी कई दिन अभियान चला, जिसमें सरकार से लोगों ने अपील की कि इसे वापस ले लिया जाए।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था, 'पेंशन के पैसों और ईपीएफ सहित मान्यताप्राप्त भविष्य निधि का 40 प्रतिशत हिस्सा टैक्स फ्री रहेगा...' विशेषज्ञों ने बताया था कि प्रस्ताव से पहले पांच साल की लगातार नौकरी के बाद कर्मचारी भविष्य निधि की निकासी पूरी तरह आयकरमुक्त थी, लेकिन नए प्रस्ताव के बाद कर्मचारियों को ईपीएफ से निकाली गई कुल राशि के 60 फीसदी हिस्से पर इनकम टैक्स देना पड़ता।

बजट में क्या प्रस्ताव दिया गया था, जिसे अब वापस ले लिया गया है...

-40% से ऊपर ईपीएफ़ निकालने पर टैक्स

-अप्रैल से जमा 60% रकम पर लग सकता है टैक्स

-पेंशन स्कीम में निवेश पर नहीं लगेगा टैक्स

-15000 रुपये महीने से कम आय पर टैक्स नहीं

क्या था सरकार का तर्क...

-पेंशन योजना को बढ़ावा देना

-एकमुश्त पैसा न निकाल लें लोग

-आर्थिक सुरक्षा बनी रहे

-सिर्फ़ 60 लाख लोगों पर बोझ

-तीन करोड़ से ऊपर 15,000 रुपये महीने वाले

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