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नई दिल्ली: हिंदू कॉलेज ने हमें उड़ान भरने के लिए पंख दिए। इतने वर्षों बाद भी यह अहसास रोमांचित कर देता है कि मैं इस कालेज की छात्रा रही हूं।' सुप्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया ने हिंदू कालेज की स्थापना के 125 वर्ष की महोत्सव शृंखला में आयोजित कलमकारी उत्सव में कहा कि यहां के अध्यापकों और शिक्षा के वातावरण ने उनके लेखन को बड़ा आधार दिया है। कालिया ने हिंदू कॉलेज में अपने दाखिले का संस्मरण भी सुनाया जिसे उन्होंने अपनी किताब कितने शहरों में कितनी बार में भी लिखा है।

इस कलमकारी उत्सव में ऐसे लेखकों को आमंत्रित किया गया था जो हिंदू कालेज से पढ़े हैं। आयोजन में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने देशबंधु कालेज से हिंदू कालेज की अपनी यात्रा के रोचक संस्मरण सुनाए। उन्होंने अपनी सद्य प्रकाशित पुस्तक ऑर्डनरी लाइफ का उल्लेख करते हुए बताया कि इस कालेज के वातावरण ने उन्हें प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ कलमकारी की भी प्रेरणा दी।

अंग्रेजी लेखक रूपम कपूर ने अपने विद्यार्थी जीवन के कुछ गुदगुदाने वाले प्रसंग साझा किए जिन्हें वे आज भी याद करते हैं।

देह ही देश जैसी चर्चित यात्रा डायरी की लेखिका एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिन्दी की प्रोफ़ेसर डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने भावुक होते हुए कहा कि वे आज भी इसी कॉलेज की छात्रा हैं। उन्होंने अपने प्रिय शिक्षकों एवं मित्रों को याद करते हुए कहा कि उनके साहित्य प्रेम का बीजारोपण इसी परिसर में हुआ है जिसे वे कभी भूल नहीं सकतीं।
अंग्रेजी के युवा लेखक चंद्रहास चौधरी ने लेखन और समाज के बुनियादी रिश्तों की चर्चा करते हुए कहा कि सामाजिक मूल्यों की उपस्थिति से ही साहित्य में वास्तविक अर्थ आता है। उन्होंने भी अपने समय के शिक्षकों को याद करते हुए कालेज के अवदान का ऋण स्वीकार किया।

इस कार्यक्रम का संयोजन अंग्रेजी विभाग की डा शायंतिनी ने किया। प्राचार्य डॉ. अंजू श्रीवास्तव, उप प्राचार्य डॉ. रीना जैन एवं महोत्सव शृंखला संयोजक प्रोफेसर रामेश्वर राय ने सभी आमंत्रित साहित्यकारों को स्मृति चिह्न प्रदान कर कृतज्ञता व्यक्त की। अंत में हिंदी विभाग के डॉ पल्लव ने आभार प्रदर्शित किया। आयोजन स्थल पर आमंत्रित लेखकों की पुस्तकों की प्रदर्शनी को विद्यार्थियों ने रुचि से देखा।

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