गुवाहाटी: असम विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या को मुख्य मुद्दा बना रही है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को कोकराझार और नौगांव में दो रैलियों को संबोधित करते हुए इस मुद्दे पर राज्य की तरुण गोगोई सरकार को घेरने की कोशिश की। शाह की पहली रैली कोकराझार में हुई, जहां उन्होंने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ चुनावी तालमेल की विधिवत घोषणा की। तीन सालों में 1000 करोड़ देने की मांग पर उन्होंने कहा, 'केंद्र इससे ज्यादा राशि का पैकेज देने वाली हैं, लेकिन थोड़ा इंतजार करना होगा। कोकराझार और नौगांव, दोनों ही स्थानों पर उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। घुसपैठ मामले में वोट बैंक की राजनीति कर रही कांग्रेस बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर भाजपा प्रमुख ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के कारण कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया, दूसरी ओर नरेंद्र मोदी सरकार ने अब तक 60 हजार ऐसे लोगों को चिन्हित कर लिया है।
वैसे, उन्होंने यह नहीं बताया कि इन चिन्हित लोगों का भविष्य क्या होगा। शाह के भाषण से स्पष्ट था कि घुसपैठियों से जुड़ा मुद्दा इस बार कांग्रेस के खिलाफ उनकी पार्टी का सबसे बड़ा 'हथियार' होगा। विकास के हर पैमाने पर नीचे जा रहा है असम गोगोई सरकार पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा कि 15 वर्षों में आखिरकार विकास के हर पैमाने में असम दिनोंदिन नीचे क्यों जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन 15 वर्षों के दौरान केंद्र ने जो राशि भेजी, वह जनता के बीच जाने के बजाय तरुण गोगोई के मंत्रियों के घर पहुंची। निश्चित रूप से शाह की रणनीति से साफ है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के मसले पर भाजपा अपने वोटरों को एकजुट करना चाहती है क्योंकि असम में यह एक संवेदनशील मुद्दा है। गोगोई को भ्रष्टाचार और मुस्लिम तुष्टीकरण के मामले में घेरने की भी रणनीति पार्टी बना रही है।
तरुण गोगोई का पलटवार
उधर, मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बुधवार को ही राजधानी गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन में पलटवार करते हुए पूछा कि भाजपा को अगर असम के लोगों की इतनी चिंता है तो वह केंद्रीय योजना में कटौती क्यों कर रही है। वर्षों से मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को मोदी सरकार के आने के साथ खत्म क्यों कर दिया गया?