नई दिल्ली: क्या किसी धर्म को मानने वाले को किसी दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल में प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है, वो भी वहां, जहां के धार्मिक स्थल की परंपरा, मान्यता हो और मंदिर के बाहर बोर्ड पर स्पष्ट तौर पर लिखा हो कि ग़ैर धर्म के व्यक्ति धार्मिक स्थल में प्रवेश नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने इसी बाबत एमिकस गोपाल सुब्रमण्यम से 5 सितंबर तक सुझाव मांगे हैं। कोर्ट ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर से विचार करने को कहा है कि वो दूसरे धर्म के लोगों को भी मंदिर में प्रवेश पर विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पैनल बनाने को कहा जो देशभर के हिंदू मंदिरों में दूसरे धर्मों के लोगों को प्रवेश की इजाजत के पहलू पर विचार करेगा। ये पैनल हर धर्म के लोगों के लिए ड्रेस कोड पर भी विचार करेगा। पैनल देश भर के मंदिरों में श्रद्धालुओं के शोषण को रोकने के उपायों को देखेगा। केंद्र इसकी रिपोर्ट 31 अगस्त कर कोर्ट को सौंपेगा। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन को सुलभ बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस गोपाल सुब्रमण्यम से पूछा कि क्या किसी धार्मिक स्थल जहां किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित हो, उसे प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि अगर दूसरे धर्म का व्यक्ति ये शपथ दे कि वो धार्मिक स्थल की परंपरा, ड्रेस कोड और ईश्वर का सम्मान करेगा तो क्या उसे धार्मिक स्थल में प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है? वहीं सुप्रीम कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज को कहा कि आप शिकायत की जांच कर रिपोर्ट हाई कोर्ट में दें।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों के लिए मंदिर प्रशासन ड्रेस कोड बनाये ताकि श्रद्धालुओं का शोषण न हो। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि ये समस्या केवल जगन्नाथ मंदिर में नही बल्कि देश के दूसरे कुछ धार्मिक स्थलों में भी है। जैसे कामाख्या मंदिर और कालीबाड़ी मंदिर आदि में. सुप्रीम कोर्ट अब 5 सितंबर को सुनवाई करेगा।
दरसअल याचिकाकर्ता मृणालिनी ने जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्हांने अपनी याचिका में कहा है कि मंदिर के सेवक किस तरह से श्रद्धालुओं का शोषण करते हैं। साथ ही याचिका में कहा गया कि मंदिर के आसपास उतनी साफ-सफाई नहीं है जितनी जरूरत है। साथ ही मंदिर परिसर में अतिक्रमण है। याचिका में आरोप भी लगाया गया है कि मंदिर का प्रबंधन और अनुष्ठान का व्यवसायीकरण हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हिंदू धर्म किसी भी अन्य विश्वास को खत्म नहीं करता और सदियों के अनन्त विश्वास और ज्ञान और प्रेरणा है, जैसा कि इस अदालत के पहले के निर्णयों में उल्लेख किया गया है। पहले के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया, 'एक धर्म के रूप में हिंदू धर्म सभी आस्थाओं व विश्वास को शामिल करता है। यह एक धर्म है जिसमें एक संस्थापक नहीं है; एक शास्त्र नहीं है और शिक्षाओं का एक सेट नहीं है।'