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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिलकिस बानो की उस याचिका पर सुनवाई की। जिसमें उन्होंने गुजरात सरकार पर अपने मामले के दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अपनी याचिका में 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर आपको इस बात ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी सत्ता का अवैध प्रयोग ना हो।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज बिलकिस है कल कोई और होगा। यह एक ऐसा मामला है, जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके सात रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई। हमने आपको (गुजरात सरकार) सभी रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा था। हम जानना चाहते हैं कि क्या आपने अपना विवेक लगाया है। अगर हां तो बताएं कि आपने किस सामग्री को रिहाई का आधार बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि शक्ति का वास्तविक प्रयोग हो। सत्ता का कोई अवैध प्रयोग न हो। जिस तरह से अपराध किया गया था वह भयानक है।

हर दोषी को मिल चुकी है एक हजार दिन की पैरोल

कोर्ट ने आगे कहा कि दोषी करार दिए गए हर शख्स को एक हजार दिन से अधिक का पैरोल मिला है। हमारा मानना है कि जब आप शक्ति का प्रयोग करते हैं तो उसे जनता की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। चाहे आप जो भी हों, आप कितने भी ऊंचे क्यों ना हों, भले ही राज्य के पास विवेक हो? यह जनता की भलाई के लिए होना चाहिए। ऐसा करना एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है। कोर्ट ने गुजरात से सरकार से पूछा कि दोषियों की रिहाई करके आप क्या संदेश दे रहे हैं? आप सेब की तुलना संतरे से कैसे कर सकते हैं? इतना ही नहीं आप एक व्यक्ति की हत्या की तुलना नरसंहार से कैसे कर सकते हैं?

आप कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बार बार कहने के बावजूद गुजरात सरकार उम्रकैद के दोषियों की समय पूर्व रिहाई के दस्तावेज रिकॉर्ड हमारे सामने नहीं ला रही है। यदि आप हमें फाइल नहीं दिखाते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकालेंगे। साथ ही यदि आप फ़ाइल प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो आप कोर्ट की अवमानना ​​कर रहे हैं। ऐसे में हम स्वत: ही संज्ञान लेकर अवमानना का मामला शुरू कर सकते हैं।

गुजरात सरकार ने रखा अपना पक्ष

सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि हम उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं, जिसमें हमें इस अदालत द्वारा जारी की गई फाइलें पेश करने के लिए कहा गया है। हम रिव्यू दाखिल कर रहे हैं। हमने फाइल पेश करने के लिए समय भी मांगा है। ये सरकार का विशेषाधिकार है। एसवी राजू ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म और परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के मामले में राज्य सरकार के 11 दोषियों की सजा में छूट देने के फैसले के खिलाफ भी एक याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी रिहाई पर सवाल उठाए थे। क्या रिहाई देने के लिए गुजरात सरकार का अधिकार क्षेत्र था
? किस अधिकार क्षेत्र के तहत गुजरात ने रिहाई की? क्या अदालत ऐसे निकाय को रिहाई पर विचार करने को कह सकती है, जिसका अधिकार क्षेत्र ना हो? हम इन सब पहलुओं पर विचार करेंगे।

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