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नई दिल्ली: बिलकीस बानो की पुनर्विचार याचिका पर 12 दिसंबर को विचार होगा। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बिक्रम नाथ की बेंच विचार करेगी। अपनी पुनर्विचार याचिका में बिलकिस ने कहा कि याचिकाकर्ता जो आपराधिक मामले में पीड़ित और अभियोजिका है, उसे रिट याचिका दोषियों ने पक्षकार नहीं बनाया है।

यही कारण था कि जब तक दोषियों/कैदियों को 15.08.2022 को समय से पहले रिहा नहीं किया गया। तब तक बिलकिस को उक्त रिट याचिका दायर करने या उसमें पारित आदेश के लंबित होने की कोई जानकारी नहीं थी। दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण दस्तावेजों/सामग्री को छुपाया।

बिलकिस के 11 कसूरवारों को दी गई उम्रकैद की सजा में समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 13 दिसंबर यानी मंगलवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी।

बता दें कि गुजरात में गोधरा कांड के बाद 2002 में बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषी गोधरा उप कारागार से रिहा हो गए थे। गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इनकी रिहाई की मंजूरी दी।

मुंबई में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को सामूहिक बलात्कार और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कैद की सजा काट ली, जिसके बाद उनमें से एक दोषी ने समय से पहले रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पंचमहल के आयुक्त सुजल मायत्रा ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार से उसकी सजा पर क्षमा पर गौर करने का निर्देश दिया, जिसके बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया।

 

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