नई दिल्ली: कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात निकाय चुनाव में पार्टी की करारी हार पर चुप्पी तोड़ी है। राज्य के छह नगर निकायों के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के लिए पटेल ने खुद की पार्टी को जिम्मेदार बताया है। हार्दिक पटेल ने कहा कि छह नगर निकायों के लिए चुनाव हुए लेकिन कांग्रेस पार्टी की ओर से एक भी रैली आयोजित नहीं की गई।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में हार्दिक पटेल ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी उन्हें ठीक से इस्तेमाल नहीं कर रही है। पटेल ने यहां तक कह दिया कि पार्टी के कुछ चेहरे उन्हें नीचे गिराने की कोशिश में लगे हुए हैं। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि अगर अहमद पटेल जिंदा होते तो बीजेपी को इतनी आसानी से 219 सीटों का फायदा नहीं लेने देते। हार्दिक पटेल ने आगे कहा कि कई बार मैं पार्टी को बताता हूं कि जब मैं कांग्रेस में शामिल हुआ था तब मैंने सोचा था कि कांग्रेस मेरा उपयोग करेगी। मुझे लगता है कि यहां पर भी मेरा आलाकमान और राज्य पार्टी प्रभारी विफल रहे हैं। हार्दिक पटेल ने कहा, मैं एक दिन 25 बैठकें करने के लिए तैयार हूं।
उन्होंने कहा, आप मुझे बताएं कि आज से आपको 500 किलोमीटर की पदयात्र करनी है, मुझे कुछ असाइन तो करें, मैं पार्टी को बार-बार बताता हूं, मुझे अपना काम दें।
हार्दिक पटेल ने कहा कि अगर पार्टी ने उनको कहा होता कि आपको सूरत में 25 रैलियां करनी है तो नतीजा यह नहीं होता। कांग्रेस पार्टी को आत्म मंथन करना होगा और खुले तौर पर इस बारे में बोलना होगा कि वे कहां असफल रहे या फिर कमजोर थे। हार्दिक ने कहा कि गुजरात के 6.5 करोड़ लोग बीजेपी को पसंद नहीं करते हैं, चाहे कोई मानता हो या नहीं लेकिन जनता चाहती है कि अगर कांग्रेस लड़ती है तो वे उन्हें वोट देंगे।
कांग्रेस आलाकमान ने मांगी रिपोर्ट
वहीं, निकाय चुनाव में कारारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने प्रदेश संगठन की मौजूदा हालत की समीक्षा करने का फैसला किया है। जानकारी के अनुसार, गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के बेहद चिंताजनक प्रदर्शन को लेकर पार्टी आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस को जवाब तलब करते हुए तत्काल रिपोर्ट मांगी है। साथ ही चुनावों के मद्देनजर प्रदेश के प्रभारी को भी आकलन रिपोर्ट दें को कहा गया है। कांग्रेस की राजनीति के जानकारों का मानना है कि, पार्टी नेतृत्व को इस चुनाव में हार से ज्यादा सूरत में आम आदमी पार्टी का बेहतर प्रदर्शन अखर रहा है। इसलिए कांग्रेस अब आप को अगले विधानसभा चुनावों में असली रोड़ा मान रही है।
गौरतलब है कि, गुजरात की राजनीति में अभी तक दो बड़े दल ही आमने-सामने होते थे लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने सेंध मार कर कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। कांग्रेस का यह भी मानना है कि, उनकी पार्टी से बाहर गए लोगोने ही आप का जनाधार बढ़ाने में मदद की है। बता दें कि, 2017 में हुए सूबे के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तो भाजपा को लगभग सत्ता के पाले से बाहर धकेलती दिख रही थी, लेकिन पीएम मोदी ने अंतिम दौर में अपने धुआंधार प्रचार की बदौलत भाजपा को वापस सत्ता में ला दिया था। तब भी विधानसभा चुनावों में भाजपा 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई थी और कांग्रेस ने 80 सीटें जीत ली थी।