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नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के पूर्व विधायक बलदेव कुमार ने भारत सरकार से शरण देने की अपील की है। कुमार ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ही नहीं, बल्कि मुस्लिम भी सुरक्षित नहीं है। मीडिया रिर्पोटस में कुमार के हवाले से लिखा है, 'केवल अल्पसंख्यक ही नहीं, बल्कि वहां (पाकिस्तान) मुस्लिम भी सुरक्षित नहीं है। हम पाकिस्तान में कई समस्याएं झेल रहे हैं। मैं भारत सरकार से शरण देने की अपील करता हूं। मैं वापस नहीं जाऊंगा।'

साथ ही उन्होंने कहा, 'भारतीय सरकार को एक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए ताकि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख परिवार यहां आ सकें। मैं चाहता हूं कि मोदी साहब उनके लिए कुछ करें। वहां उन्हें प्रताड़ित किया जाता है।' बलदेव अपनी और अपने परिवार की जान बचाकर भारत आए हैं। फिलहाल वह पंजाब राज्य के खन्ना में हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक खौफ के माहौल में रह रहे हैं। बलदेव खुद एक समय में खैबरपख्तूनख्वा विधानसभा में अल्पसंख्यकों की आवाज बुलंद करते थे और आज खुद अपनी जान बचाकर भागे हैं।

वह कहते हैं कि उन्हें इमरान खान से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन उनके सत्ता में आते ही हालात और भी ज्यादा बिगड़ते चले गए। उनके कार्यकाल के दौरान हिंदुओं और सिखों पर जुल्म बढ़ा है।

वीजा पर आए भारत

बलदेव 12 अगस्त को तीन महीने के वीजा पर भारत आए हैं। उन्होंने कुछ महीने पहले ही अपने परिवार को पंजाब के लुधियाना में रिश्तेदारों के पास खन्ना भेजा है। वह अब पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते हैं। वह कहते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार हो रहा है। वहीं हिंदू और सिख नेताओं की भी वहां हत्या हो रही है, यही कारण है कि वह भी जल्द ही भारत में शरण के लिए आवेदन करेंगे।

किराए के मकान में कर रहे गुजारा

बलदेव ने 2007 में पंजाब के खन्ना की रहने वाली भावना से शादी की थी, उस समय वह पाकिस्तान में पार्षद थे और बाद में विधायक भी बने। वह फिलहाल खन्ना के समराला मार्ग टाउन स्थित दो कमरों के किराए के मकान में रह रहे हैं। उनकी पत्नी अभी भी भारतीय हैं, जबकि उनके दो बच्चे सैम (10) और रिया (11) पाकिस्तानी नागरिक हैं। उनकी बेटी रिया का थैलेसीमिया का इलाज चल रहा है।

दो साल जेल में बिताए

बलदेव को पाकिस्तान में दो साल जेल में भी बिताने पड़े। दरअसल 2016 में उनके विधानसभा क्षेत्र के एक विधायक की हत्या हो गई थी। इस मामले में बलदेव पर झूठे आरोप लगाए गए और जेल में डाल दिया गया। 2018 में उन्हेें बरी कर दिया गया। पाकिस्तान के कानून के मुताबिक किसी विधायक की मौत के बाद दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को विधायक बना दिया जाता है। लेकिन बलदेव को ऐसे समय में रिहा किया गया जब विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में महज दो दिनों का वक्त बचा था।

इस मामले में बरी होने के बाद बलदेव को शपथ भी दिलाई गई लेकिन वह महज 36 घंटे तक ही विधायक पद पर रहे। बलदेव का कहना है कि इमरान खान से उन्हें उम्मीदें थीं कि वह एक नया पाकिस्तान बनाएंगे लेकिन वो अपनी जनता, खासतौर पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में नाकाम रहे हैं।

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