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अमृतसर(पंजाब): करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे दौर की वार्ता संपन्न हो गई। बैठक में कई अहम मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी। हालांकि दो मुद्दे ऐसे रहे जिन पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई, लेकिन बुधवार को हुई बैठक में फैसला लिया गया कि भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीजा के पूरे साल करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेंगे। न केवल सिख श्रद्धालु बल्कि अन्य लोग भी करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेंगे। प्रतिदिन 5000 श्रद्धालु करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेंगे।

जानकारी के मुताबिक, बुधवार को बैठक में रावी नदी पर पुल बनाने को लेकर भी चर्चा हुई, जिस पर सहमति भी बन गई। श्रद्धालुओं में बंटने वाले प्रसाद और लंगर के लिए भी जरूरी इंतजाम करने पर सहमति बन गई है। दोनों देश यात्रियों को सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण माहौल मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बैठक में आपातकाल की स्थितियों पर भी बातचीत हुई। अगर किसी तरह की इमरजेंसी पड़ती है तो दोनों देश सहयोग करते हुए उचित व्यवस्था करेंगे। विशेषकर मेडिकल इमरजेंसी की हालत में।

इसके लिए बीएसएफ और पाकिस्तान रेजर्स के बीच सीधी बातचीत होगी, उसके बाद समस्या का समाधान निकाला जाएगा।

गत 30 अगस्त को डेरा बाबा नानक की जीरो लाइन पर हुई बैठक जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली मीटिंग थी। वो पांचवीं बैठक थी, जिसमें दोनों देशों की टीमों के 15-15 सदस्य शामिल थे। भारत की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय, जमीनी बंदरगाह अथॉरिटी, नहरी विभाग के अलावा बीएसएफ के अधिकारी शामिल हुए। बैठक के बाद अधिकारियों ने मीडिया से पूरी तरह से दूरी बनाए रखी। बैठक में कॉरिडोर के उद्घाटन की तारीख तय करने के अलावा विभिन्न तकनीकी मुद्दों पर चर्चा की गई थी।

इसके अलावा माना जा रहा है कि मीटिंग में पाकिस्तान द्वारा जीरो लाइन तक तैयार किए जाने वाला करीब 300 मीटर लंबे पुल के बजाय अस्थाई सड़क तैयार किए जाने, दोनों देशों द्वारा तैयार की गई सड़कों, पुल और श्रद्धालुओं की संख्या के बारे में चर्चा की गई थी। भारत अपनी तरफ से पुल का निर्माण कर रहा है जो निर्धारित समय से पहले तैयार हो जाएगा।

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