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चंडीगढ़: लुधियाना जिले के गांव सहारन माजरा के हरजीत सिंह की फर्जी एनकाउंटर में हत्या के दोषी चार पुलिसकर्मियों की सजा पंजाब के राज्यपाल बीपी सिंह बदनौर ने माफ कर दी है। इसकी सिफारिश पंजाब के डीजीपी और एडीजीपी जेल द्वारा राज्यपाल से की गई थी। पंजाब के प्रमुख सचिव जेल कृपा शंकर सरोज ने गत 11 जून को चारों दोषी पुलिसकर्मियों को अलग-अलग पत्र जारी कर राज्यपाल बीपी बदनौर द्वारा सजा माफ करने के बारे में जानकारी दी है।

इन चारों को दिसंबर 2014 में स्पेशल जज सीबीआई कम एडिशनल सेशन जज पटियाला द्वारा उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी। चारों दोषियों ने इस फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर फैसला लंबित है। इन कैदियों ने 3 जनवरी, 2017 तक 2 साल 1 महीना 3 दिन की असल सजा काट ली। इस पर डीजीपी और एडीजीपी (जेल) की सिफारिश और उनके द्वारा पेश तथ्यों के आधार पर राज्यपाल बदनौर ने संविधान के अनुच्छेद 161 में दिए अधिकार का उपयोग करते हुए उनके मामले पर हमदर्दी से विचार करने के बाद सजा माफ कर दी।

 

यह है मामला

हरजीत सिंह को 6 अक्तूबर 1993 को उसके गांव सहारन माजरा से पंजाब पुलिस के तत्कालीन एएसआई हरिंदर सिंह पुत्र गुरचरण सिंह निवासी गांव माछी जोआ जिला कपूरथला ने अगवा किया और यूपी पुलिस के एसपी रैंक के अधिकारी रविंदर कुमार सिंह पुत्र मोरध्वज निवासी गांव पपना जिला लखनऊ, इंस्पेक्टर बृजलाल वर्मा पुत्र बालादीन निवासी गांव सोहाजना, जिला महोबा और कांस्टेबल ओंकार सिंह पुत्र माधव सिंह निवासी गांव फतेहपुर जिला लखनऊ के साथ मिलकर 12 अक्तूबर 1993 को फर्जी एनकाउंटर दिखाकर मार दिया।

इसी आधार पर हरिंदर सिंह को प्रमोट कर एसआई बना दिया गया था। इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 1996 में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई कोर्ट ने हरजीत सिंह की हत्या में हरिंदर सिंह, बृजलाल वर्मा, रविंदर और ओंकार को दोषी पाया। इसके बाद 1 दिसंबर 2014 को चारों पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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